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Samaj Karya Paribhasha Kosh (English-Hindi)
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Job analysis
कार्य विश्लेषण
किसी विशिष्ट कार्य से संबंधित विभिन्न क्रियाओं, योग्यताओं, क्षमताओं, कार्य की दशाओं, वेतन, पदोन्नति के अवसर आदि का वैज्ञानिक अध्ययन।

Job analyst
कार्य विश्लेषक
वह व्यक्ति जो किसी व्यवसाय या कार्य की विशिष्टताओं एवं विवरणों को तैयार करने, उनका विश्लेषण तथा समस्त व्यवसायों के विश्लेषण का कार्य करता है।

Job classification
कार्य वर्गीकरण
व्यवसाय-प्रतिष्ठान या उद्योग विशेष के विभिन्न कार्यों को उनकी समानता अथवा विविधता के आधार पर कुछ सामान्य श्रेणियों अथवा समूहों में विन्यस्त करने की एक प्रणाली। यह वर्गीकरण कार्य सम्पादन के लिए कार्मिकों के आवश्यक प्रशिक्षण, अनुभव तथा कुशलता को ध्यान में रख कर किया जाता है।

Job hazard
कार्य संकट
कार्य के पर्यावरण या उसकी दशाओं से संबंधित समायोजन की कुछ ऐसी विशिष्ट एवं विकट समस्याएं जिनसे उस कार्य में लगे व्यक्ति में तंत्रिका-ताप पैदा हो सकता है।

Job psychograph
कार्य मनोलेख
किसी धंधे के लिए अनेक अभिक्षम्ता परीक्षणों में से संभवतः सर्वाधिक उपयुक्त परीक्षण का चुनाव करने के उद्देश्य से उस कार्य या कार्य-समूह के लिए अपेक्षित विशेषकों और योग्यताओं को कार्य में लगे कार्मिकों के प्रतिशत के रूप में व्यक्त करने वाला रेखाचित्र।

Job replica
कार्य प्रतिकृति
देo job sample test

Job rotation
कार्य आवर्तन
दिन प्रतिदिन या एक ही दिन कार्मिकों के कार्यों में पारी-पारी से पारस्परिक परिवर्तन करते रहना।

Job sample test
कार्य प्रतिदर्श परीक्षण
किसी उद्योग या प्रतिष्ठान के किन्हीं विशिष्ट एवं जटिल कार्यों का एक उपलब्धि परीक्षण जिसमें कार्मिक को उन धंधों के लिए अपेक्षित सभी वास्तविक संक्रियाओं या उनके महत्वपूर्ण नमूनों को प्रस्तुत करने वाली परीक्षणात्मक स्थिति में रख कर उसके कार्य और तत्संबंधी विशिष्ट योग्यताओं की जांच की जाती है।

Job specification
कार्य विनिर्देशन
कार्य का विश्लेषण करके उसकी तुलना कार्मिक के अपेक्षित गुणों और क्षमताओं के साथ करना जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि वह व्यक्ति उस कार्य के लिए कितना उपयुक्त है।

Juvenile court
किशोर न्यायालय, बाल न्यायालय
अपचारी और असुरक्षित बालकों पर न्यायिक विचार करने तथा उनकी सुरक्षा, सुधार और पुनर्वास सम्बन्धी व्यवस्था के लिये गठित विशेष न्यायालय। बाल-अधिनियम के अंतर्गत इस प्रकार के न्यायालयों की व्यवस्था है और सामान्यतः 16 से 18 वर्ष तक के बच्चों के मामले इन न्यायालयों के सामने लाए जाते हैं।


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