ऋणदाता द्वारा ऋणी को एक सम्मत ब्याज-दर पर नियत अवधि के लिए दी गई उधार-राशि। ऋणदाता और ऋणी सरकार, संस्था, व्यावसायिक प्रतिष्ठान अथवा व्यक्ति, कोई भी हो सकते हैं।
Loose leaf ledger (=perpetual ledger)
खुले पन्नों का खाता
विशेष प्रकार के जिल्द वाला ऐसा खाता जिसकी पुश्त खोलकर पन्ने अलग-अलग किए जा सकते हैं। इस खाते में जब चाहे पन्ने घटाए-बढ़ाए जा सकते हैं या उनका क्रम बदला जा सकता है। चूँकि इसमें पन्ने घटाने-बढ़ाने की गुंजाइश होती है अतः यह कभी भरता नहीं। पुराने पन्ने निकालकर नए पन्ने जोड़ देने से यह अगली लेखा-अवधि में इस्तेमाल के योग्य हो जाता है।
Mail order business
डाक व्यापार
डाक के माध्यम से क्रय-विक्रय करना। जो फ़र्म इस प्रकार का व्यापार करती है वह विज्ञापन के द्वारा अपनी वस्तुओं का प्रचार करती है और ख़रीदारों से अनुरोध करती है कि वे पत्र द्वारा माल का आर्डर भेजें।
Manifest
माल-सूची
प्रत्येक व्यापारिक जहाज़ पर यात्रा के दौरान प्राप्य एक ऐसा लिखित दस्तावेज़ जिसमें जहाज़ पर लदे माल की कैफ़ियत, लदने और उतरने का स्थान आदि दिया रहता है। इस पर जहाज़ के कप्तान के हस्ताक्षर होते हैं। इससे सीमाशुल्क तथा पत्तन अधिकारियों को जाँच करने में सुविधा हो जाती है।
Manufacture
विनिर्माण
किसी वस्तु अथवा उत्पाद को हाथ अथवा मशीन की सहायता से बनाना। कृषि अथवा अन्य प्राकृतिक उपजों को छोड़कर सभी प्रकार का औद्योगिक उत्पादन इस कोटि में आता है।
Margin trading
मार्जिन जमा व्यापार
प्रतिभूति बाज़ार के वे सौदे जिनमें ख़रीदार को दलाल के पास एक पेशगी रक़म जमा करनी पड़ती है।
Marine insurance
नौवहन बीमा, समुद्री बीमा
ऐसा बीमा जिसके अंतर्गत समुद्री पोतों और उनके द्वारा ढोए जाने वाले माल की संभावित हानि अथवा क्षति को बीमा-संरक्षण प्रदान किया जाता है।
Mark-down
1. क़ीमत-ह्रासन 2. रियायत
1. क़ीमत-ह्रासन : बहीखातों में परिसंपत्तियों, प्रतिभूतियों आदि के मूल्य को घटाकर लिखना। ऐसा उनके बाज़ार-मूल्य में गिरावट आ जाने पर किया जा सकता है।
2. रियायत : पूर्व-निर्धारित क़ीमत में कटौती करके माल को घटी क़ीमत पर बेचना।
Marketing
विपणन, क्रय-विक्रय
वस्तुओं और सेवाओं को मूल उत्पादक से अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचाने के सिलसिले में किए जाने वाले क्रय-विक्रय, विज्ञापन, पैकिंग, भंडारण, परिवहन, बाज़ार-अनुसंधान आदि कार्यकलाप;
उपर्युक्त कार्यकलापों का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
Mark-up
1. क़ीमत-वर्धन 2. क़ीमत-लागत अंतर
1. क़ीमत-वर्धन : बाज़ार-मूल्य में बढोतरी हो जाने पर परिसंपत्तियों अथवा प्रतिभूतियों के मूल्यों को तदनुसार बढ़ा कर लिखना।
2. क़ीमत-लागत अंतर : बिक्री-क़ीमत निर्धारित करते समय वस्तु अथवा उत्पाद के लागत-ख़र्च में प्रतिशत आधार पर जोड़ी गई राशि।