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Definitional Dictionary of Philosophy (English-Hindi)
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Strict Implication
कठोर आपादन वह आपादन जिसमें आपाद्य आपादक से अनिवार्यतः निगमित होता है। जैसे 'यदि क तो ख', में यदि 'क' से 'ख' का निगमन।

Strong Disjunction (=Exclusive Disjunction)
प्रदत्त वियोजन वह कथन जिसमें 'या' के प्रयोग द्वारा ऐसे दो परस्पर व्यावर्तक विकल्प बताये गए हों, जो न तो एक साथ सत्य हों, और न असत्य। जैसे : राम या तो मृत है या जीवित।

Subalternant
उपाश्रयक उपाश्रयण नामक विरोध-संबंध रखनेवाली प्रतिज्ञप्तियों में से वह जो सर्वव्यापी होती है। इसे subaltern भी कहते हैं। देखिए `subalternation`।

Subalternate
उपाश्रित उपाश्रयण नामक विरोध-संबंध रखनेवाली प्रतिज्ञप्तियों में से वह जो अंशव्यापी होती है। इसे subaltern भी कहते हैं। देखिए `subalternation`।

Subalternation
उपाश्रयण दो ऐसी प्रतिज्ञप्तियों का विरोध-संबंध जिनके उद्देश्य, विधेय और गुण समान होते हैं परन्तु परिमाण भिन्न होते हैं, अर्थात् जिनमें से एक सर्वव्यापी होती है और दूसरी अंशव्यापी, जैसे : आ (A) और ई (I) का अथवा ए (E) और (O) का, जैसे : सभी अ ब हैं (आ) से कुछ अ ब हैं (ई)। कोई अ ब नहीं (ए) से कुछ अ ब नहीं हैं (ओ)।

Subcontrariety
अनुविपरीत विरोध-संबंध का एक प्रकार जो समान उद्देश्य और समान विधेयवाली परन्तु गुण में भिन्नता रखनेवाली दो अंशव्यापी प्रतिज्ञप्तियों अर्थात् ई (I) और ओ (O) के मध्य होता है, जैसे : कुछ अ ब हैं (ई)। कुछ अ ब नहीं हैं (ओ)।

Subject
विषय ज्ञानमीमांसा में, वस्तु या विषय को जाननेवाला अथवा ज्ञान का कर्ता, अर्थात् ज्ञाता, जिसे कि आत्मा, मन, बुद्धि इत्यादि विभिन्न रूर्पो में कल्पित किया गया है।

Subjective Idealism
विषयिनिष्ठ प्रत्ययवाद वह ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत जिसके अनुसार ज्ञाता को केवल अपने प्रत्ययों का ही साक्षात् ज्ञान हो सकता है, और इसलिए वाह्य जगत् जिसे हम वास्तविक मान बैठते हैं, कल्पना मात्र है, जिसके अस्तित्व का कोई पक्का प्रमाण नहीं है। आधुनिक दर्शन में बर्कले और भारतीय दर्शन में योगाचार बौद्ध इस मत के प्रतिपादक हैं।

Subjectivism
विषयिनिष्ठवाद, विषयिनिष्ठतावाद मूल्यमीमांसा में, वह मत कि नैतिक तथा अन्य मूल्य व्यक्ति की अनुभूतियाँ और मानसिक प्रतिक्रियाएँ मात्र हैं और बाह्य जगत् में उनके अनुरूप किसी वस्तु का अस्तित्व नहीं है। देखिए `subjective idealism`।

Substance Theory Of Mind
मनोद्रव्य-सिद्धांत सी. डब्ल्यू. मॉरिस के अनुसार, वह सिद्धांत कि मन एक स्थायी तथा अपनी एकता को बनाए रखनेवाला द्रव्य है।


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