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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

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अंगनाइ, अँगनाई
संज्ञा
[हिं. पु. आँगन]
आँगन, चौक, अजिर।
(माई) बिहरत गोपाल राइ मनि मन रचे अँगनाइ लरकत पररिंगनाइ, घुटरूनि डोलै-१०-१०१।

अंगभंग
संज्ञा
[सं.]
अंग का भंग या खंडित होना।

अंगभंग
वि.
अपाहिज, लूला, लुंज।

अंगभंगी
संज्ञा
[सं.]
मोहित करने की स्त्रियों की क्रिया। अंगों को मोड़ना, मरोड़ना।

अंगभंगी
संज्ञा
[सं.]
आकृति।

अंगराग
संज्ञा
[सं.]
शरीर में लगाने का सुगन्धित लेप।

अंगराग
संज्ञा
[सं.]
वस्त्राभूषण।

अंगराग
संज्ञा
[सं.]
महावर आदि स्त्रियों के लेप।

अँगवाना
क्रि. स.
[सं. अंग]
अंगीकार करना।

अँगवाना
क्रि. स.
[सं. अंग]
सहना।


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