logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

अंचल,  अँचल
मुहा.
(लियौ) अचल :- अंचल डाल कर थोड़ा मुंह ढक लिया। उ.- रुद्र कौ देखि के मोहिनी लाज करि, लियो अचल, रुद्र तब अधिक मोह्यौ---८-१०। अंचले जोरे :- दीनता दिखाकर। उ.- अंचल जोरे करत बीनती, मिलिबे को सब दासी३४२२। अंचल दै :- आँचल की ओट करके, घूँघट काढ़ कर। उ.- पीताम्बर वह सिर ते ओढ़त अंचल दै मुसुकात–१०-३३८।

अँचवत
क्रि. स.
[हिं. अचवना]
पीते (हुए) पान करते (ही)।
अँचवत पय तातौ जब लाग्यौ रोवत जीभ डढ़ै---१०-१७४।

अँचवति
क्रि. स.
[हिं. अचवना]
आचमन करती है, पीती है।
माधौ, नैंकु हटकौ गाइ। ....अष्टदस घट नीर अँचवति, तृषा तउ न बुझाति--१-५६।

अँचवन
संज्ञा
[हिं. अचवना]
भोजन के पीछे हाथ मुँह धोना, कुल्ली करना; और आचमन का जल या आचमन किया हुआ जल।
अँचवन लै तब धोए कर-मुख-३९६। (ख) सूरस्याम अब कहत अघाने, अँचवन माँगत पानी-४४२।

अचवौं
क्रि. स.
[हिं. अँचवना, अचवना]
आचमन करूँगा, पान करूगा, पिऊँगा।
आजु अजोध्या जल नहिं अँचवौं, मुख नहिं देखौं माई-९-४७।

अँचै
क्रि. स.
[हिं. अचवना]
आचमन करके, पीकर।
(क) सुत-दारा को मोह अँचै विष, हरि-अमृत-फल डार्‌‍यौ-३६६। (ख) दवानल अँचै ब्रजजन बचायौ--५९७।

अंजत
क्रि. स.
[हिं. अंजना, आँजना]
अंजन या सुरमा लगाता है।
प्यारी नैननि को अंजन लै अपने लोचन अंजत है—पृ० ३११।

अंजन
संज्ञा
[सं.]
सुरमा, काजल।
अंजन आड़ तिलक आभूषन सचि आयुध बड़ छोट- सा ० उ० १६।

अंजन
संज्ञा
[सं.]
रात।
उदित अंजन पै अनोषी देव अगिन जराय–सा. ३२।

अंजन
संज्ञा
[सं.]
स्याही।


logo