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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

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अंजन
वि.
काला, सुरमई।
रवि-ससि-ज्योति जगत परिपूरन, हरति तिमिर रजनी। उड़त फूल उड़गन नभ अंतर, अंजन घटा घनी-२-२८।

अंजनि
संज्ञा
[सं. अंजनी]
हनुमान की माता अंजना जो कुंजर नामक बानर की पुत्री और केशरी की स्त्री थी।

अंजल
संज्ञा
[सं. अन्न + जल]
अन्नजल।

अंजलि,  अंजली
संज्ञा
[सं.]
दोनों हथेलियों को मिलाकर बनाया गया संपुट, अंजुली।

अंजलि.  अंजली
संज्ञा
[सं.]
अजुली में भरा हुआ जल आदि द्रव अथवा अन्य वस्तु।
प्यारी स्याम अंजली डारै। वा छबि कौ चित लाइ निहारै। मनो जलद-जल डारत ढरै-१८४४।

अँजवाना
क्रि. स.
[सं. अंजन]
अंजन या सुरमा लगवाना।

अँजाइ
क्रि. स.
[हिं. अंजन, अँजाना]
अंजन, सुरमा या काजल लगवाकर।
दोऊ अलबेले बने जु आए आँखि अँजाइ--२४४२।

अँजाय
क्रि. स.
[हिं. अंजन]
काजल या सुरमा लगवाकर।
आपुन हँसत पीत-पट मुख दै आए हो आँख अँजाय-२४४६ (३)।

अंजुरी
संज्ञा
[सं. अंजली]
दोनों हथेलियों को मिलाकर बनाया हुआ संपुट।

अंजुलि
संज्ञा
[सं. अंजली]
हथेलियों को मिलाने से बना हुआ संपुट।
सिर पर मीच, नीच नहिं  चितवत, आयु घटति ज्यौं अजुलि पानी---१-१४९।


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