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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

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अँजोर
संज्ञा
[सं. उज्ज्वल, हिं. उजाला, उजेरा]
उजाला, प्रकाश, चाँदनी

अँजोरना
क्रि. स.
[हिं. अँजुरी]
छीनना, हरना, लेना, मूसना।

अँजोरना
क्रि. स.
[सं. उज्ज्वल]
जलाना, प्रकाशित करना।

अँजोरा
संज्ञा
[सं. उज्ज्वल]
प्रकाश।

अँजोरि
क्रि. स.
[हिं. अँजुरी, अँजोरना]
छीनकर, हरण करके, मूसकर।
(क) सूरदास ठगि रही ग्वालिनी, मन हरि लियौ अँजोरि–१०:२७०। (ख) मारग तौ कोउ चलन न पावत, धावत गोरस लेत अँजोरि--१०.३२७। (ग) सूर स्याम चितवत गए मो तन, तन मन लियौ अंजोर-६७०।

अँजोरी
संज्ञा
[हिं. अँजोर + ई]
प्रकाश,चमक।

अँजोरी
संज्ञा
[हिं. अँजोर + ई]
चाँदनी।

अँजोरी
वि.
उजेली, प्रकाशमयी, उज्ज्वल।

अँटकाए
क्रि. स.
[हिं. अटकाना]
फँसाए या उलझाए (हुए)।
मनि आभरन डार डारनि प्रति, देखत छबि मनहीं अँटकाए---७८४।

अँटकावत
क्रि. स.
[हिं. अटकाना]
रुकता है, बाधक होता है।
भीतर तैं बाहर लों आवत। घरआँगन अति चलत सुगम भए, देहरि अंटकावत १०-१२५।


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