logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

अंतरित
[सं.]
छिपा हुआ, गुप्त।

अंतरित
[सं.]
ढका हुआ।

अंतरीक
संज्ञा
[सं. अंतरिक्ष]
आकाश।

अँतरौटा
संज्ञा
[सं. अंतरपट]
महीन साड़ी के नीचे पहनने का वस्त्र जिससे शरीर दिखाई न दे।
चोली चतुरानन ठग्यौ, अमर उपरना राते (हो)। अँतरोटा अवलोकि कैंअसुर महा मदमाते (हो)-१-४४।

अंतर्गत
वि.
[सं.]
भीतर, छिपा हुआ, गुप्त।

अंतर्गत
वि.
[सं.]
हृदय के, हार्दिक।

अंतर्गत
संज्ञा
मन, हृदय, चित।
(क) रुक्म रिसाई पिता सौं कह्यौ। सुनि ताकौ अंतर्गत दह्यौ--१० उ.-७। (ख) बारंबार सती जब कह्यौ। तब सिव अंतर्गत यौं लह्यौ–४.५।

अंतर्गति
संज्ञा
[सं.]
चितवृत्ति, मनोकामना, भावना।

अंतर्गति
संज्ञा
[सं.]
हृदय में।
करि समाधि अंतर्गत ध्यावहु यह उनको उपदेस-२९८८।

अंर्तदृष्टि
संज्ञा
[सं.]
ज्ञानचक्षु, प्रज्ञा।


logo