logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

अँगवान्यो
क्रि. स.
[सं. अग]
अंग में लगाया, शरीर में मला।
चदन और अरगजा आन्यो। अपने कर बल के अँगवान्यो-२३२१।

अंगहीन
वि.
[सं. अंग + हीन = रहित]
खंडित अंग का, लँगड़ा-लूला।

अंगहीन
संज्ञा
कामदेव।

अंगा
वि.
[सं. अंग]
अंगोंवाली।
मनौ गिरिवर तैं आवति गंगा। राजति अति रमनीक राधिका यहि बिधि अधिक अनूपम अंगा १०-१९०५।

अंगा
संज्ञा
अँगरखा, चपकन।

अंगा
संज्ञा
अंग।
नख सिखे लौं मीन जाल जड़यो अंग-अंगा-९-९७।

अंगा
संज्ञा
मोटी रोटी या रोट (अंगकरी) बड़ी लीटी।

अँगार, अंगार
संज्ञा
[सं.]
दहकता हुआ कोयला।
पद-नख-चन्द-चकोर विमुख मन, खात अँगार मई-१-२९९।

अँगार, अंगार
संज्ञा
[सं.]
चिनगारी।
(क) उचटत भरि अंगार गगन लौं, सूर निरखि ब्रज जन बेहाल-५९४। (ख) अति अगिनि-झार, भंभार धुंधार करि, उचटि अंगार झंझार छायौ-५९६।

अँगिया
संज्ञा
[सं. अंगिका, प्रा. अँगिआ]
चोली, अधपेटी।


logo