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Rajaneetivijnan Paribhasha Kosh (English-Hindi)
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Aggressive militarism
आकामक सैन्यवाद किसी अन्य देश पर आक्रमण करने, उसे नीचा दिखाने या अपने देश की सीमा का विस्तार करने की नीति से प्रेरित सैन्य तैयारी। इसके अंतर्गत सैनिकों में साहस, धैर्य, अनुशासन और राजनीतिक मूल्यों के प्रति कट्टर आस्था के साथ-साथ अपने राष्ट्र के प्रति उत्कट प्रेम और आत्मबलिदान की क्षमता उत्पन्न की जाती है। यह उग्र राष्ट्रवाद का प्रतीक है। जर्मनी में हिटलर तथा जापान में 1932-45 तक टोजो सरकार इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।

Aggressive nationalism
आक्रामक राष्ट्रवाद राष्ट्रवाद की वह उग्र एवं संकीर्ण भावना जो राष्ट्र के सीमोत्कर्ष और विस्तार की आकांक्षाओं से प्रेरित होकर सरकार पर सैनिक तैयारियाँ करने और उग्र नीतियाँ अपनाने के लिए दबाव डालती है। दे. Chauvinism भी।

Aggressive war
आकामक युद्ध वर्तमान अतर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार कोई राज्य केवल आत्मरक्षार्थ युद्ध कर सकता है। यदि प्रदेश का विस्तार करने अथवा अन्य किसी प्रयोजन से अंतर्राष्ट्रीय विधि अथवा संधि समझौते के विपरीत, युद्ध किया जाए तो उसे आक्रामक युद्ध माना जाता है। (3) जब उसकी नौ, स्थल तथा वायु सेनाएँ युद्ध घोषणा कर या बिना पूर्व घोषणा किए ही, किसी दूसरे राज्य के भूभाग, पोतों या विभानों पर आक्रमण कर देती हैं। (4) वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार अग्र-आक्रमण अवैध माना जाता है और सुरक्षा परिषद् को संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अर्तगत यह अधिकार दिया गया कि वह किसी सशस्त्र आक्रमण की परिस्थिति में निश्चित करे कि अग्र आक्रामक राज्य कौन है।

Aggressor
आकामक सन् 1933 में, निरस्त्रीकरण सम्मेलन की सुरक्षा विषयक प्रश्न समिति ने आक्रामक शब्द का प्रयोग उस राज्य के लिए किया था, जो निम्न प्रकार की कार्रवाई करने में पहल करता हो :- (1) जब वह किसी दूसरे राज्य पर युद्ध-घोषणा कर आक्रमण कर देता है। (2) जब उसकी सशस्त्र सेनाएँ, बिना युद्ध घोषणा किए किसी दूसरे राज्य के भूभाग पर आक्रमण कर देती हैं।

Agitation
आंदोलन किसी सामान्य हित से संबंधित माँगों अथवा शिकायतों के लिए सरकार अथवा संस्था, प्रतिष्ठान या कल-कारखाने के प्रबंधक मंडल के विरुद्ध किया गया सामूहिक और व्यापक संघर्ष।

Agitator
आंदोलक, आंदोलनकर्ता, आंदोलनकारी किसी प्रकार के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक अथवा सामाजिक आंदोलन या संघर्ष को उकसाने या. भड़काने वाला या उनका नेतृत्व या प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति।

Agrarianism
भूमिसुधारवाद 1. भू-संपत्ति के समान विभाजन - अथवा उसके न्यायपूर्ण और उचित पुनर्वितरण का सिद्धांत। 2. ऐसा सामाजिक अथवा राजनीतिक आंदोलन जिसका ध्येय भूमिसुधारों को क्रियान्वित कराना और कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुधारना हो। यह उल्लेखनीय है कि भूमि सुधारवाद की दिशा में, भारत में जमीदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और भूदान आंदोलन का सूत्रपात हुआ।

Agrarian law
भूमि संबंधी विधि खेती योग्य भूमि के आबंटन, वितरण अथवा सीमा-निर्धारण करने अथवा भूमि स्वामित्व में परिवर्तन करने अथवा कृषि-उत्पादन में सुधार करने वाले कानून।

Agrarian movement
भूमि संबंधी आंदोलन, कृषिक आंदोलन इस प्रकार के आंदोलन विश्व के विभिन्न भागों में समय-समय पर होते रहे हैं। इन आंदोलनों के मुख्यतः दो लक्ष्य रहे हैं: (1) भूमि व्यवस्था से उत्पन्न किसानों के शोषण का अंत। उदाहरण के लिए भारत में जमींदारी व्यवस्था का उन्मूलन। (2) किसानों की दशाओं में सुधार और इसके लिए उन्हें विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध कराया जाना जिनमें यह माँग प्रमुख रही है कि भूमि पर स्वामित्व किसान का हो और उसे कृषि के लिए अच्छे बीज, उर्वरक, जल, बिजली, यातायात एवं भंडारण की सुविधाएँ तथा कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराए जाएँ। इस प्रकार के आंदोलनों का स्वरूप विभिन्न परिस्थितियों में इस बात पर निर्मर रहा है कि इसका नेतृत्व किस राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित था जैसे, भूमिहीन और खेतिहर मजदूरों के हितों के समर्थन में छेड़े गए आंदोलन का नेतृत्व समाजवादी एवं साम्यवादी विचारघाराओं से प्रभावित रहा। दूसरी ओर, मध्यवर्गीय और बड़े किसानों के हितार्थ आंदोलनों का नेतृत्व प्रायः आर्थिक व्यवस्था को यथापूर्व बनाए रखने वाले लोगों के हाथ में रहा है। भारत के संदर्भ में इस प्रकार के आंदोलन की उभरती हुई प्रवृत्ति यह है कि राजनीति में कृषकों की सक्रिय सहभागिता और प्रभावी भूमिका हो।

Agrarian reforms
कृषि सुधार इससे अभिप्राय है कृषि उत्पादन एवं कृषकों की दशाओं में सुधार लाया जाए। भारत के संदर्भ में कृषि सुधार का मुख्य लक्ष्य जमींदारी व्यवस्था का उन्मूलन था। परंतु इसके साथ ही, कृषि सुधार के अनेक विषय उभर कर आए जैसे वैयक्तिक स्वामित्व में कृषि भूमि की अधिकतम सीमा निर्धारित करना, अतिरिक्त भूमि का भूमिहीनों में वितरण, चकबंदी, खेतिहर मजदूरों की उचित मजदूरी निर्धारित करना, कृषकों के लिए उचित ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना एवं कृषि- उत्पादन के क्रय-विक्रय की व्यवस्था करना आदि। कृषि सुधार के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण योजना बंजर, ऊसर या परती भूमि को कृषि योग्य बनाने की भी है।


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