युद्धपोत
राज्य के नौ सैनिक बल के वे पोत जो यूद्थकाल मे अंतर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार वैध योधी माने जाते हैं । वैधिक दृष्टि से वैयक्तिक पोतों को सिवाय आत्मरक्षा के लिए शस्त्रों से लैस नहीं किया जा सकता । ऐसा करने पर उनकी स्थिति जलदस्युओं की होगी ।
राष्ट्रों की सामान्य सहमति और परंपरागत अंतर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार राज्य के युद्धपोतों को विदेशई बंदरगाहों में स्थानीय क्षेत्रधिकार से उन्मुक्त माना जात है । कुछ विद्वान उन्हें प्रदेशातीत भी मानते आए हैं । उन्हें राज्य का चलायमान द्वीप की संज्ञा दी जाती है ।
war zone
युद्ध क्षेत्र
युद्ध - काल मे विशेषकर समुद्र में निर्धारित क्षेत्र जिसमें वणिक पोतों को बिना किसी चेतावनी के नष्ट काय जा सके । ऐसा इस क्षेत्र में वास्तविक या संभावित सैनिक गतिविधियों के कारण काय जाता है । ऐसा इस क्षेत्र में वास्तविक या संभावित सैनिक गतिविधियों के कारण किया जाता है । प्रथम महायुद्ध मे लगभग पूरे उत्तरी सागर मे ग्रेट ब्रिटेन द्वारा सुरंगें बिछा दी गई थीं जिसके प्रत्युत्तर मे ब्रिटेन के चारों ओर के जल -क्षेत्र को जर्मनी द्वारा युद्ध - क्षेत्र घोषित कर यह चेतावनीदी गी कि इस जल क्षेत्र मे श्तु के व्यापारिक जलपोतों को बिना किसी चेतावनी के नष्ट कर दिया जाएगा । दूसरे महायुद्ध मे बी स प्रकार के युदध - क्षेत्र घोषित किए जाने के दृष्टांत मिलेत ह ।
water boundary
जल सीमा
दो या अधिक राज्यों के भूभागों को पृथक् कनरे वाली नदी, खाड़ी झील अथवा कोई अन्य इसी प्रकार का जलाशय । यह सीमा संबंधित जलाशय का एक तट हो सकती है या दूसरा तट या जलाशय की मध्यम रेखा या नौपरिवहनीय जलाशय में थालवेग की मध्यम रेखा भी हो सकती है ।
white flag
श्वेत ध्वज, सफेद झंडा
सादे सफेद रंग का झंडा या पताका या कोई अन्यि वस्तु जिसका झंडे या पताका के रूप मे प्रयोग किया जाए । अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत इस प्रकार का झंडा विश्व की सभी सभ्य सेनाओं दवारा युद्धविराम के प्रयोजन का प्रतीक माना जाता है ।
Willy Brandt Report
विली ब्रांट प्रतिवेदन
उत्तर - दक्षिण - संवाद मे विकासशील राज्यों का पक्ष उजागर करने में विली ब्रांट का महत्वपूर्ण योगदान था ।
यह आयोग कोई सरकारी या राजकीय प्रतिनिधियों का आयोग नहीं था । इसकी स्थापना का विचार विश्व बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष राबर्ट मैकनमारा के मस्तिष्क की उपज था । उन्होंने पश्चिमी जर्नी के निवृत्त चांसलर नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत विली ब्रांट से इस आयोग की अध्यक्षता स्वीकार करने के लिए कहा । ब्रांट ने इस शर्त पर उनकी बात मान ली कि आयोग के सदस्य अपनी वैयक्तिक प्रतिमा और प्रतिष्ठा के आधार पर चुने जाएँगे न कि सरकारी प्रवक्ता के रूप में । इसके सदस्यों में की भूतपूर्व प्रधानमंत्री, चिली के राष्ट्रपति और अनेक उद्दोयग एवं वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ थे । आयोग ने जो प्रतिवेदन प्रस्तुत किया वह ब्राट प्रतिवेदन के नाम से विख्यात है ।
इस प्रतिवेदन की मुक्य विशेषता यह थी कि इसने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया कि विकासशील देशों क उत्तरोत्तर विकास स्वयं विकसित देशओं की समृद्धि के लिए एक आवश्यक दशा है । उदाहरणार्थ इन देशों के आर्थिक विकास के फलस्वरूप समृद्ध पश्चिमी राज्यों में रोजगार के अवसर बढ़ते है । इन देशों के संग निर्यात - व्यापार में गतिशीलता है और इससे उच्च प्रौद्योगिकी वाले उद्योगों मे रोज़गार के नवीन अवसर पैदा होते हैं ।
अतः आयोग का सुझाव था कि इन देशों में क्रय - शक्ति को बढ़ाया जाना आवश्यक है । इसके लिए इनके विकास मे आर्थिक सहायता देना स्वयं पश्चिमी विकसित औद्योगिक राष्टरों के हित मे होगा । यह कार्य तीन प्रकार से किया जा सकता है
1. इनके उत्पादनों के निर्यात को सुलभ बनाकर ; 2. इनके साथ व्यापार की शर्तें की इनके पक्ष में सुधार कर ; और 3. इनको वित्तीय सहायता देकर ।
प्रतिवेदन मे विशेषकर खाद्यान्न उत्पादन और ऊर्जा उत्पादन के कार्यक्रमों को वित्तीय सहायता दी जाने की सिफारिश की गई थी ।
ब्रांट प्रतिवेदन का यह सुझाव उल्लेखनीय था कि पश्चिमी राज्यों के बैंकों में जमा पेट्रोलियम निर्यात कनरे वाले देशों का धन विकासशील देशों में पूंजी निवेश के रूप लगाए जाने के लिए संस्थात्मक प्रंबध किए जाने चाहिएँ और इसके अतिरिक्त पश्चिमी राज्यों को भी यथाशक्ति धनानुदान देकर इन देशों के विकास मे हाथ बँटाना चाहिए । यह विकासशील और विकसित राज्यों, दोनों के हित मे होगा ।
world court
विश्व न्यायालय
वह (अंतर्राष्ट्रीय) न्यायालय जिसका अधिकार - क्षेत्र विश्व के उन सबी राज्यों तक विस्तृत होता ह जो उस न्यायालय की संविधि को स्वीकार करते हैं । इस न्यायालय का संगठन इस विधान द्वारा ही निर्धारित किया जाता है । इसमें विश्व की सभी प्रधान विधि - प्रणालियों के प्रतिनिधि - सदस्य न्यायाधीश होते हैं । इस प्रकार के न्यायालय की स्थापना सर्वप्रथम 1920 मे की गई जिसका नाम स्थायी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय रका गया । दूसरे महायुद्ध उपरांत इसाक स्थान वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय नायायलय ने ले लिया है जो हेग (हालैंड ) में स्थित है । इसमें 15 न्यायाधीश हैं जिनका निर्वाचन सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा किया जाता है । इसके समक्ष केवल राज्य ही वनादी हो सकते हैं, व्यक्ति नहीं । राज्यों के परस्पर विवाद अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधि तथा समझौतों के अनुसार तय किए जाते हैं । इसके निर्णय बाध्यकारी होते हैं । इस न्यायालय का क्षेत्राधिकार राज्यों के लिए अनिवार्य न होकर ऐच्छिक है जो इसकी सबसे बड़ी दुर्बलता है ।
world law
विश्व विधि
दे. Transnational law.
world order
विश्व व्यावस्था
ऐसी व्यवस्था जो विश्वव्यापी कही जा सके अर्थात् जो राष्ट्रीय राज्यों की अलग - अलग व्यवस्थाओं से सर्वोपरि हो और जिसका किसी भी राष्ट्रीय व्यवस्था द्वारा उल्लंघन अवैध वं अनुचित माना जए और जो राज्यों की सहमति पर आश्रित न होकर इससे स्वतंत्र हो । उदाहरणार्थ विश्व वैधिक व्यवस्था (world legal order) >
world organisation
विश्व संगठन
ऐसी विश्वव्यापी संस्था या संघ जिसकी सदस्यता सभी राज्यों के लिए खुली हो और जिसाक उद्देश्य सदस्य - राज्यों के सामान् हितों की अभिवृद्धी करन हो, जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) आदि ।
यह उल्लेखनीय है कि इस प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय संगठन अनपे सदस्य - राज्यों का योगमात्र न होकर एक पृथक स्वतंत्र वैधिक इकाई माने जाते हैं ।