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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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Tokyo Convention, 1963
टोकियो अभिसमय, 1963 इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आकाश - क्षेत्र में विमानों पर हुए अपराधों के लिए दण्ड की समुचित व्यवस्था करन थातीकि अपराधी क्षेत्राधिकार के अभाव में दंड से न बच सकें । इस हेतु यह व्यवस्था की गई कि :- 1. विमान क पंजीकृत राज्य इन अपराधियों के विरूद्ध कार्रवाई कर सकता है 2. कोई भी हस्ताक्षरकर्ता राज्य जो इनको पकड़ पाए इनके विरूद्ध कार्रवाई कर सकता है अथवा इनका प्रत्यर्पण कर सकता है 3. प्रत्यर्पण के लिए विमान पर हुआ कोई अपराध उसके पंजीकर्ता राज्य के प्रदेश में हुआ माना जाएगा और 4. राष्ट्रीयता अथवा कर्मगत प्रादेशिकता के सिद्धांतों के आधार पर भी इन अपराधियों पर क्षेत्राधिकार का दावा किया जा सकेगा । सीमाशुल्क पुलिस अथवा सैनिक विमान इस अभिसमय की परिधि में नहीं आते । प्रत्येक हस्ताक्षरकर्ता राज्य का कर्तव्य है कि वह विमान और उस पर लदे माल को उसके वैध स्वामी को लौटाने की व्यवस्था करे ।

Tokyo International military Tribunal
टोकियो सैनिक अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण दूसरे महायुद्ध के उपरांत जापानी सैनिक एवं राजनीतिक उच्च पदाधिकारियों को युद्ध अपराधों के लिए दंडित करने के उद्देश्य से मित्र राषअट्रों द्वारा गठित सैनिक न्यायधिकरण जिसने जापानी अधिकारियों को सुदूर पूर्व में किए गए युद्ध - अपराधों शांति विरोधी अपराधों और मानवता विरोधी अपराधों के लिए दंडित किया था । वास्तव में न्यूरेम्बर्ग न्यायिक कार्यवाही और टोकियो की उपर्युक्त न्यायिक कार्यवाही दोनों के आधार और लक्ष्य समान थे और दोनों की समान रूप से आलोचना हुई है । टोकियो न्यायाधिकरण में एक भारतीय न्यायाधीश भी थे जिनका नाम था न्यायामूर्ति राधाविनोद पाल । न्यायामूर्ति राधाविनोद पाल ने बहुमत के निर्णय को अस्वीकार करते हुए अपना विमत विस्तृत रूप से लिपिबद्ध किया जो बाद में एक ग्रंथ के रूप में प्रकाशित हुआ ।

total war
पूर्ण युद्ध, सर्वागीण युद्ध युद्ध की वर्तमानकालीन अवधारणा जिसके अनुसार युद्धकारी राज्यो की न केवल थल, नौ तथा वायु सेनाएँ बल्कि उनकी समग्र जनता भी किसी न किसी रूप में युद्ध की संक्रिया में भागीदार समझी जाती है । पूर्ण युद्ध के अंतर्गत अमुबमों, विषैली गैसों और प्रक्षेपास्त्रों के निस्संकोच प्रयोग से सैनिक - असैनिक लक्षोयं, योधी और अयोधी, तटस्थ और शत्रु के भेद नहीं रह जाते और राज्य के समस्त संसाधन - उत्पादन व्यवस्था, यातायात और संचार साधन, आर्थिक प्रणाली आदि युद्ध के लिए समर्पित हो जाते हैं ।

transfromation theory
रूपांतरण सिद्धांत जब अंतर्राष्ट्रीय संधियों को राज्य की विधायिका क़ानून के रूप में परिवर्तित कर देती हैं तो वे उस राज्य के राष्ट्रीय क़ानून का भाग बन जाती है । इस प्रक्रिया को विशिष्ट अंगीकरण भी कहा जाता है । दे. Specific adoption theory भी ।

transit agreement
पारगमन समझौता किसी देश के भूभाग से किसी राज्य अथवा उसके नागरिकों एवं व्यापारियों को आवागमन का अधिकार देने के उद्देश्य से किया गया पारस्परिक समझौता । इस प्रकार के समझौतों का एक उदाहरण भारत - नेपाल व्यापार एवं पारगमन संधि है । चूँकि नेपाल एक भू - बद्ध राज्य है, अतः उसके व्यापार को समुद्री नौ - परिवहन की सुविधा देने के ले भारत ने इस संधि के अंतर्गत उसे अपने प्रदेश से पारगमन की सुविधा प्रदान की है ।

transnational law
पारराष्ट्रीय विधि वर्तमान काल में अनेक लेखकों ने यह विचार व्यक्त किय है कि अंतर्राष्रीय विदि संतोषजनक पद नहीं है क्योंकि इससे यह आभास होता है कि यह विधि राज्यों के मध्य कार्यशील है जबकि उनके विचार से यह राज्यों से स्वतंत्र और सर्वोपरि वैधिक व्यवस्था मानी जीनी चाहिए । अतः इस पद से असंतुष्ट होकर अनेक लेखकों ने अनेक नामों का सुझाव दिया है । जैसे कार्बेट ने विश्व विधिस जैक्स ने मानव जाति की सामान्य विधि और फिलिप जैसप ने इसे पारराष्ट्रीय विधि कहे जाने का सुझाव दिया है । एक वर्तमान प्रकाशन में लुई हैंकिन, फ्रीडमैन और लिसिट जीन नामक तीन विद्वानों ने इसी संबोधन को स्वीकार किया है । अतः पारराष्ट्रीय विधि से तात्पर्य राज्यों के आचरण को नियमित और नियंत्रित करने वाले ऐसे नियमों और सिद्धांतों को सूह से है जो राज्यों से स्वतंत्र तथा उनके लिए बाध्यकारी हैं ।

treaty
संधि अंतर्राष्ट्रीय विधि का मूल स्रोत विशेषकर विधि - निर्मात्री संधि को माना जाता है । संधि का अर्थ है वह लिखित औपचारिक प्रपत्र जिसमें दो या अधिक राज्य अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत कोई पारस्परिक संबंध स्थापित करना स्वीकार करते हैं । अंतर्राष्ट्रीय विधि के क्षेत्र में संधियों का वर्गीकरण विधि निर्मात्री और संधि - संविदा दो वर्गों में किया जाता है । संधियाँ केवल हस्ताक्षरकर्ता राज्यों के लिए बाध्यकारी होती हैं और अंतर्राष्ट्रीय विधि का नियम यह है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का संबंधित राज्यों द्वारा निष्टाफूर्वक पालन किया जाना चाहिए । इसे संधि का सद्भाव नियम कहते हैं । दे. Pacta sunt servanda भी ।

treaty contracts
संधि संविदाएँ मोटे रूप से संधियाँ दो प्रकार की होती हैं । एक, विधि निर्मात्री संधि और दूसरी संधि संविदा । संधि संविदा प्रायः दो पक्षीय होती हैं । इनका उद्देश्य हस्ताक्षरकर्ता राज्यों के राजनीतिक, आर्थिक, व्यापारिक अथवा अन्य किसी परस्पर हित संबंधी विषय पर बाध्याकारी व्यवस्था स्थापित करना होता है । प्रायः संधि संविदाएँ अंतर्राष्ट्रीय विधि की प्रत्यक्ष स्रोत नहीं मानी जातीं, परंतु अप्रत्यक्ष रूप से वे अंतर्राष्ट्रीय विधि के निर्माण और विकास में प्रभावकारी हो सकती हैं ।

treaty instrument
संधि लेख दो या अधिक राज्यों के मध्य किसी पारस्परिक समझौते से संबंधित उनके अधिकारों तथा कर्तव्यों का वर्णन करन वाल विधिक प्रलेख अथवा प्रपत्र जिस पर संबंधित राज्यों के प्राधिकृत प्रतिनिधि अपने - अपने हस्ताक्षर करते हैं । इस प्रकार के प्रलेख अथवा प्रपत्र की संबद्ध राज्यों द्वारा संपुष्टि किया जाना आवश्यक है ।

treaty of alliance
संश्रय - संधि दो या अधिक राज्यों के मध्य किसी विषय को लेकर, विशेषकर सुरक्षा के प्रश्न को लेकर आपसी सहयोग व सहायता के लिए गटबंधन और तत्संबंधी समझौता जो संबंधित राज्यों के लिए वैधिक रूप से बाध्यकारी माना जाता है ।


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