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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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Estrada doctrine
एस्ट्रेडा सिद्धांत मेक्सिको के विदेश मंत्री सिनोर एस्ट्रेडा ने 1930 मान्यता का यह सिद्धांत प्रतिपादित काय । उसके अनुसार मेक्सिको भविष्य में षड़्यंत्रों या क्रांतियों द्वारा किसी राज्य की सरकार मे परिवर्तन को नए सिरे से कोई मान्यता प्रदान नहीं करेगा और वह सत्ता परिवर्तन की स्थिति में यह निर्णय करेगा कि संबंधित राज्य से अपने दैत्य संबंध बनाए रखे या नहीं । परंतु दौत्य संबंध बनाए रखना या न रखना इस सरकार की मान्यता से संबंधित नहीं होगा । उनके अनुसार राज्यों को मान्यता प्रदान करने की प्रथा बिल्कुल समाप्त कर देनी चाहिए क्योंकि ह दूसरे राज्य की प्रभुसत्ता में अपमानजनक हस्तक्षेप है और इसमें यह मान लिया जाता है कि किसी विदेशी राज्य की कानूनी स्थिति का निर्णय दूसरे राज्य की प्रभुसत्ता में अपमानजनक हस्तक्षेप है र इसमे ह मान लिया जाता है कि कीस विदेशी राज्यकी कानूनी स्थिति का निर्णय दूसरा राज्य (मान्यता प्रदान करने वाला ) करें । इस सिद्धांत का दोष यह है कि क्रांति अथवा गृहयुद्ध के पश्चात विदेशी राज्य किस पक्ष से संबंध अथवा संपर्क बनाएँ, यह नरिणय करने से मुक्त नही हो सकते । वस्तुतः यह निर्णय ही मान्यता के तुल्य है ।

European atomic Energy Community (EURATOM)
यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय इस समुदाय की स्थापना 1957 में 6 राज्यों - बेल्जियम, फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, लक्ज़मबर्ग और नीदरलैंड द्वारा की गई थी, बाद मे डेनमार्क, आयरलैंड और इंग्लैंड बी इसके सदस्य हो गए थे । इसके संगठन में एक आयोग, एक परिषद् और एक सभा - तीन अंग हैं । ये तीनों अंग इस समुदाय और अन्य दो यूरोपीय समुदायों - कोयला और इस्पात समुदाय तात आर्थिक समुदाय - के सामान्य अंग हैं । इसका मुख्य उद्द्एश्य सदस्य राज्यों में शांतिमय उद्देश्यों के लिए आण्विक अनुसंधान तता विकास के कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित करना, संयुक्त ऊरप्जा परियोजनाओं की स्थापना करना और वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान का एकीकरण केरना है ।

European Commission of Human Rights
यूरोपीय मानव अधिकार आयोग 1950 के मानव अधिकार संबंधी यूरोपीय अभिसमय के अंतर्गत यूरोपीय परिषद् के सदस्य - राज्यों ने मानव अधिकारों के संरक्षणार्थ एक अंतर्राष्ट्रीय व्यवसथा स्थापित की थी । इस व्यवस्था के दो अंग हैं । एक आयोग और दूसरा न्यायालय । आयोग को यूरोपीय मानव अधिकार आयोग कहा जाता है । सदस्य - राज्यों के प्रदेश में किसी भी मानव अधिकार उल्लंघन संबंधी मामले को प्रेषित किया जा सकता ह । मालमों को प्रेषित करन का अधिकार केवल सदस्य राज्यों को है । परंतु कोई मामला किसी व्यक्ति अथवा गैर सरकारी संगठन द्वारा भी प्रेषित किया जा सकता है, बशर्ते यदि वह राज्य जिसके विरूद्ध याचिका प्रेषित की गई है व्यक्तियों के याचिक प्रेषित कनरे के अधिकार को स्वीकार कर चुका है । जुलाई 1955 से आयोग व्यक्तियों द्वारा प्रेषित याचिकाओं पर सुनवाई के ले सक्षम हो गाय है । मानव अधिकार उल्लंघन के मामले पहले आयोग में प्रेषित होते हैं । आयोग में 15 सदस्य हैं । यदि मामला आयोग के क्षेत्राधिकार मे है तो आयोग उस पर विचार करता है और अपना विवरण तथा संस्तुति यूरोपीय परिषद् की मंत्रियों की समिति को भेज देता है । यह समिति मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान करने का प्रयास करती है । यदि यह संभव न हो तो दो तिहाई बहुमत से मामले का निपटारा कर सकती है । यूरोपीय आयोग के समक्ष हजारों याचिकाएँ प्रेषित की जा चुकी हैं और यह आयोग मानव अधीकारों के संरक्षण में अत्यंत क्रियाशील और सचेत है ।

European Community
यूरोपीय समुदाय यह वह राजनीतिक संरचना है जो यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय यूरोपीय आर्थिक समुदाय तथा यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय, इन तीनों समुदायों के लिए आर्थिक निर्णय करती है । इस संरचना की निम्न संस्थाएँ हैं मंत्रि परिषद्, आयोग, यूरोपीय संसद और न्यायालय । परिषद् और संसद यूरोपीय समुदाय की एक प्रकार से दोहरी कार्यपालिका है । यूरोपीय संसद की स्थापना सबसे पहले 1952 में की गई थी और यद्यपि इसे विधि - निर्माण का अधिकार नही है परंतु यह नवीन आर्थिक नीतियों के सुझाव दे सकती है । इस संसद के लिए सदस्य राज्यों की राष्ट्रीय संसदों द्वारा प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते थे । वर्तमान में इसके सदस्यों के लिए सदस्य - राज्यों की जनता अपने प्रतिनिधियों का प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन करती है । न्यायालय की स्थापना भी 1952 में की गई थी और यह समुदाय के विभिन्न अंगों एवं सदस्य - राज्यों के मध्य विवादों का समाधान करता है और समुदाय की संधियों की व्याख्या भी करता है । यूरोपीय समुदाय निरंतर अधिकाधिक आर्थिक एवं राजनीतिक एकीकरण की ओर गतिशील है । जनवरी, 1991 में मास्ट्रिक्ट संधि से यह समुदाय इस शताब्दी के अंत तक एक संघ या परिसंघ में परिवर्तित हो जाएगा, ऐसा अनुमान है और समुदाय की एक सामान्य मुद्रा होगी र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा यहाँ तक कि प्रतिरक्षा के क्षेत्र में भी सामान्य नीतियाँ होंगी । यद्यपि ब्रिटेन समुदाय के अधिक एकीकरण का विरोद कर रहा है और वहां का जनमानस किसी भी दशा में यूरोपीय संघ या परिसंघ की अवधारणा के वरूद्ध है, परंतु समुदाय के अन्यि सदस्य - राज्य परस्पर एकीकरण के लिए दृढ़ संकल्प है । इस समय (1992) बेल्जियम, फ्रांस, ग्रीस, लक्ज़मबर्ग, इटली, आयरलैंड, डेनमार्क, नीदरलैंडस, पुर्तगाल, स्पेन, युनाइटेड किंगडम और जर्मनी इसके सदस्य हैं ।

Eruopean Convention on Extradition
यूरोपीय प्रत्यर्पण - अभिसमय प्रत्यर्पण संधियाँ प्रायः द्वि - पक्षीय होती हैं । इस विषय में बहु - पक्षीय संधि अपवाद है । इस अपवाद का एक उदाहरण 13 दिसंबर, 1957 का प्रत्यर्पण विषयक यूरोपीय अभिसमय है । यह अभिसमय यूरोपीय समुदाय के सदस्य देशों में प्रत्यर्पण संबंधी मामलों का नियामक है ।

European Convention on Human Rights
यूरोपीय मानव अधिकार अभिसमय इस अभिसमय पर रोम में यूरोपीय परिषद् के सदस्य - राज्यों द्वारा 4 नवंबर, 1950 को हस्ताक्षर किए गए थे और यह 1953 से प्राबवकारी हुआ । इसको स्वीकार करने वाले राज्य आस्ट्रिया बेल्जियम, ब्रिटेन, साइप्रस, डेनमार्क, जर्मनी, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नार्वे, स्वीडन हैं यूरोपीय परिषद के तीन सदस्यों यथा फ्रांस, माल्टा और स्वीडन ने इसे स्वीकार नहीं काय । इसका उद्देश्य सदस्य - राज्यों के मध्य आदारभूत मानवीय अधिकारों तता स्वतंत्रताओं के रक्षार्थ यूरोपीय धरातल पर अंतर्राष्ट्रीय निकायों की स्थापना करना था जिनमें दो विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं - 1. यूरोपीय मानव अधिकार आयोग, और 2. यूरोपीय मानव अधीकार न्यायालय । मानव अधिकार आयोग सदस्य - राज्यों में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जाँच कर उन पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है । ऐसा राज्यों के अनुरोध पर किया जा सकता है परंतु यदि राज्य इसके लिए सहमत हों तो यह कार्य किसी व्यक्ति, व्यक्ति समूह अथवा गैर सरकारी संगठन के अनुरोध पर भी किया जा सकता है । 1950 के उपरांत व्यक्तियों और गैर सरकारी संगठनों के अनुरोध पर भी यह आयोग मानव अधिकार उल्लंघनों के मामले से संबंधित याचिकाएँ स्वीकार करने लगा है । यूरोपीय मानव अधाकार न्यायालय की स्थापना 1959 में की गई थी । न्यायालय के समक्ष केवल इसके क्षेत्राधिकार को स्वीकार करने वाले केवल यूरोपीय राज्य मामले पेश कर सकते हैं, वय्क्ति नहीं ।

European Court of Human Rights
यूरोपीय मानव अधार अभिसमय के अंतर्गत एक न्यायालय की स्थापना की गई है । पूर्व - घोषणा करके मानव अधिकार अभिसमय के सदस्य - राज्य इस न्यायालय का अनिवार्य क्षेत्राधिकार स्वीकार कर सकते हैं । न्यायलय मे सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है चाहे उन्होंने यायालय का अनिवार्य क्षेत्राधिकार स्वीकार काय हो या नहीं । आयोग एवं यूरोपीय परिषद् की मंत्री - समिति के निर्णय के विरूद्ध योरोपीय मानव अधिकार न्यायालय में अपील की जा सकती है । अपील करने का अधिकार उन राजोयं के नागरिकों को हैं, जिन्होंने न्यायालय का अनिवार्य अधिकार क्षेत्र स्वीकार किया है । आयोग स्वयं किसी मामले को न्यायालय के विचारार्थ भेज सकता है । यह न्यायालय जनवरी 1959 से कार्यरत है और लोलैस के मामले में 14 नवंबर, 1960 को इसने अपना प्रथम निर्णय दिया था । तबसे यह अनेक महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दे चुका है, जिनमें गोल्डर बनाम यू. के. (1975), टायरर बनाम यू. के. (1978). संडे टाइम्स का मामला (1977), यंग जेम्म और वेवस्टर का मामला (1981) आदि उल्लखनीय हैं ।

European Economic Community
यूरोपीय आर्थिक समुदाय यह एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 1957 की रोम - संधि के द्वारा की गई थी और जिसके हस्ताक्षरकर्ता पश्चिमी यूरोपीय राज्य थे । इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य - राज्यों के लिए एक साझा बाज़ार की स्थापना करना, सामान्य आर्थिक नीतियाँ निर्धारित करन और आपस में आयात - निर्यात शउल्क समाप्त करके बाहरी देशों से होने वाले निर्यात पर शुल्क संबंधी सामान्य नीति अपनाना था ताकि इस आर्थिक समुदाय के क्षेत्र के भीतर आयात - निर्यात अबाध रूप से हो सके । श्रमिक और पूंजी कही भी आने - जे या लगाए जाने के लिए स्वतंत्र हों । समुदाय ने सदस्य - राज्यों के मध्य उत्पादन एवं विपणन संबंधी अनेक नीतियाँ अपनाई हैं और कृषि - उत्पादन को सहायिकी प्रदान की हैं । वर्तमान काल में यूरोपीय साझा बाज़ार का और अधिक विस्तार हुआ है और इसके सदस्यों में अनेक नए राज्य शामिल हुए हैं । अब इसे केवल यूरोपीय समुदाय कहा जाता है । विस्तार के लिए देखिए European Community.

evidentiary theory of recognition (=declaratory theory of recognition)
मान्यता का साक्ष्य सिद्धांत (मान्यता का घोषणात्मक सिद्धांत) दे. Declaratory theory of recognition.

exchange of notes (or of letters)
संपत्रों (या पत्रों ) का विनिमय हाल के वर्षमों में अत्यधिक प्रचलित इस अनौपचारिक प्रणाली के अंतर्गत राज्य प्रायः उन दायित्वों या मंतव्यों का निर्देश करत हैं, जिनका पालन करना वे आवश्यक समझते हैं । ये आदान - प्रदान राज्यों के राजनयिक या सैनिक प्रतिनिधियों के माध्यम से भी किए जाते हैं । अक्सर इनके लिए अनुसमर्थन की जरूरत नही होती परंतु यदि पक्षकार ऐसा आशय व्यक्त करे तो अनुसमर्थन की जरूरत होगी । यह भी संधि का एक रूप है ।


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