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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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enclave
अंतस्थ क्षेत्र कीस राज्य के भूभाग का वह हिस्सा जो चारों ओर से किसी अन्य राज्य के भूभाग से पूर्णतया घिरा हुआ होता है । प्रायः साम्राज्यवादी प्रसार के फलस्वरूप ऐसा हुआ जिसका ज्वलंत उदाहरण है भारत में दादरा और नगरहवेली के पुर्तगाली उपनिवेश । भारत के स्वतंत्र होने के पश्चात जब इन उपनिवेशों में पुर्तगाली शासन के विरूद्ध विद्रोह हुए तो पुर्तगाल ने अपनी सेनाएँ भेजने के लिए भारत से पारगमन का अधिकार माँगा था जिसे भारत ने स्वीकारि नही किया था ।

enemy character
शत्रु स्वरूप युद्ध काल में युद्धरत राज्य एक दूसरे के शत्रु माने जाते हैं और उनके नागरिक तथा उनकी संपत्ति भी यही रूप धारण कर लेती है परंतु शत्रु स्वरूप निर्धारण करने के अंतर्राष्ट्रीय विधि में कुछ नियम हैं और इस संदर्भ में ब्रिटिश नियम और यूरोपीय महाद्वीपीय नियमों में अंतर था । ब्रिटेन में शुत्रु स्वरूप निवास से निर्धारिक होता था अर्थात् शत्रु प्रदेश मे निवास करने वाले सभी व्यक्ति चाहे वे शत्रु राज्य मे हों अथवा तटस्थ राज्य में सब श्तुर माने जाते थे । इसके विपरीत यूरोपीय महाद्वीपीय राज्य राष्ट्रीयता से शत्रु रूप निर्धारित करते रहे हैं । पिछले महायुद्धों में इन दोनों नियमों अर्थात् आवास एवं राष्ट्रीयता का कुछ सीमा तक सम्मिश्रण हो गया ताकि शत्रुराज्य की जनशक्ति और साधनों को अधिकाधिक सीमित और क्षीण काय जा सकें । व्यक्तियों के अतिरिक्त निगमों एवं जलपोतों को भी शत्रु रूपी घोषित किया जा सकता है, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय विधि मे निश्चित नियम हैं ।

enemy property
शत्रु संपत्ति वह संप्त्ति जो किसी शत्रु व्यक्ति अथवा श्तुर राज्य की हो । अतः शत्रु संपत्ति का विभाजन दो भागों में किया जाता है - पहली राजकीय या सार्वजनिक संपत्ति और दूसरी वैयक्तिक संपत्ति । अंतर्राष्ट्रीय विधि वैयक्तिक संपत्ति को राजकीय संपत्ति से अधिक संरक्षण प्रदान करती है । उदाहरणार्थ शत्रु की राजकीय चल संपत्ति को हस्तगत किया झा सकता है और अचल संपत्ति का अधिग्रहण कर उपयोग मे लाया जा सकता है । इसी प्रकार युद्धोपोतों को हस्तगत कर उनका स्वामित्व हरण किया जा सकता है । इसके विपरीत वैयक्तिक संपत्ति का उपयोग करने के लिए मूल्यि चुकाकर अधिग्रहण किया जा सकता है और सैनिक आवश्यकता समाप्त हो जाने पर उसका उसके मूल स्वामी को लौटाया जाना आवश्यक है । इसके अतिरिक्त वैयक्तिक संपत्ति का उसी दशा में अधिग्रहण किया जा सकता है जब वह सैनिक प्रयोग के लिए आवश्यक हो ।

espionage
जासूसी, चार - कर्म युद्ध और शांति काल दोनों में राज्यों द्वारा दूसरे राज्यों के सैनिक और राजनीतिक महत्व के भेदों को एकत्रित करने का कार्य प्राचीन काल से ही होता आया है । वर्तमान काल मे यह कार्य और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गाय है और दरसंचार के साधनों में प्रगति एवं अंतरिक्ष मे उपग्रहों के प्रयोग के कारण यह अत्यधिक विशिष्ट और गंभीर स्वरूप धारण कर गाय है । युद्धकाल मे बी भेदियों, जिन्हें जासूस कहा जाता है, का प्रयोग युद्धकारियों द्वारा किया जात है । अंतर्राष्ट्रीय विधि जासूसों को कोई संरक्षण प्रदान नहीं करती । कोई भी राज्य अपने विरूद्ध जासूसी करने वाले, कीस भी व्यक्ति को पकड़ पाने पर उसे अपने राष्ट्रीय कानूनों के अनुसारि दंड दे सकता है । यहाँ तक कि आकाश मे बी इस प्रकार के कार्य मे लगे वायुयान को मार गिराया जा सकता है ।

Estrada doctrine
एस्ट्रेडा सिद्धांत मेक्सिको के विदेश मंत्री सिनोर एस्ट्रेडा ने 1930 मान्यता का यह सिद्धांत प्रतिपादित काय । उसके अनुसार मेक्सिको भविष्य में षड़्यंत्रों या क्रांतियों द्वारा किसी राज्य की सरकार मे परिवर्तन को नए सिरे से कोई मान्यता प्रदान नहीं करेगा और वह सत्ता परिवर्तन की स्थिति में यह निर्णय करेगा कि संबंधित राज्य से अपने दैत्य संबंध बनाए रखे या नहीं । परंतु दौत्य संबंध बनाए रखना या न रखना इस सरकार की मान्यता से संबंधित नहीं होगा । उनके अनुसार राज्यों को मान्यता प्रदान करने की प्रथा बिल्कुल समाप्त कर देनी चाहिए क्योंकि ह दूसरे राज्य की प्रभुसत्ता में अपमानजनक हस्तक्षेप है और इसमें यह मान लिया जाता है कि किसी विदेशी राज्य की कानूनी स्थिति का निर्णय दूसरे राज्य की प्रभुसत्ता में अपमानजनक हस्तक्षेप है र इसमे ह मान लिया जाता है कि कीस विदेशी राज्यकी कानूनी स्थिति का निर्णय दूसरा राज्य (मान्यता प्रदान करने वाला ) करें । इस सिद्धांत का दोष यह है कि क्रांति अथवा गृहयुद्ध के पश्चात विदेशी राज्य किस पक्ष से संबंध अथवा संपर्क बनाएँ, यह नरिणय करने से मुक्त नही हो सकते । वस्तुतः यह निर्णय ही मान्यता के तुल्य है ।

European atomic Energy Community (EURATOM)
यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय इस समुदाय की स्थापना 1957 में 6 राज्यों - बेल्जियम, फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, लक्ज़मबर्ग और नीदरलैंड द्वारा की गई थी, बाद मे डेनमार्क, आयरलैंड और इंग्लैंड बी इसके सदस्य हो गए थे । इसके संगठन में एक आयोग, एक परिषद् और एक सभा - तीन अंग हैं । ये तीनों अंग इस समुदाय और अन्य दो यूरोपीय समुदायों - कोयला और इस्पात समुदाय तात आर्थिक समुदाय - के सामान्य अंग हैं । इसका मुख्य उद्द्एश्य सदस्य राज्यों में शांतिमय उद्देश्यों के लिए आण्विक अनुसंधान तता विकास के कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित करना, संयुक्त ऊरप्जा परियोजनाओं की स्थापना करना और वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान का एकीकरण केरना है ।

European Commission of Human Rights
यूरोपीय मानव अधिकार आयोग 1950 के मानव अधिकार संबंधी यूरोपीय अभिसमय के अंतर्गत यूरोपीय परिषद् के सदस्य - राज्यों ने मानव अधिकारों के संरक्षणार्थ एक अंतर्राष्ट्रीय व्यवसथा स्थापित की थी । इस व्यवस्था के दो अंग हैं । एक आयोग और दूसरा न्यायालय । आयोग को यूरोपीय मानव अधिकार आयोग कहा जाता है । सदस्य - राज्यों के प्रदेश में किसी भी मानव अधिकार उल्लंघन संबंधी मामले को प्रेषित किया जा सकता ह । मालमों को प्रेषित करन का अधिकार केवल सदस्य राज्यों को है । परंतु कोई मामला किसी व्यक्ति अथवा गैर सरकारी संगठन द्वारा भी प्रेषित किया जा सकता है, बशर्ते यदि वह राज्य जिसके विरूद्ध याचिका प्रेषित की गई है व्यक्तियों के याचिक प्रेषित कनरे के अधिकार को स्वीकार कर चुका है । जुलाई 1955 से आयोग व्यक्तियों द्वारा प्रेषित याचिकाओं पर सुनवाई के ले सक्षम हो गाय है । मानव अधिकार उल्लंघन के मामले पहले आयोग में प्रेषित होते हैं । आयोग में 15 सदस्य हैं । यदि मामला आयोग के क्षेत्राधिकार मे है तो आयोग उस पर विचार करता है और अपना विवरण तथा संस्तुति यूरोपीय परिषद् की मंत्रियों की समिति को भेज देता है । यह समिति मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान करने का प्रयास करती है । यदि यह संभव न हो तो दो तिहाई बहुमत से मामले का निपटारा कर सकती है । यूरोपीय आयोग के समक्ष हजारों याचिकाएँ प्रेषित की जा चुकी हैं और यह आयोग मानव अधीकारों के संरक्षण में अत्यंत क्रियाशील और सचेत है ।

European Community
यूरोपीय समुदाय यह वह राजनीतिक संरचना है जो यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय यूरोपीय आर्थिक समुदाय तथा यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय, इन तीनों समुदायों के लिए आर्थिक निर्णय करती है । इस संरचना की निम्न संस्थाएँ हैं मंत्रि परिषद्, आयोग, यूरोपीय संसद और न्यायालय । परिषद् और संसद यूरोपीय समुदाय की एक प्रकार से दोहरी कार्यपालिका है । यूरोपीय संसद की स्थापना सबसे पहले 1952 में की गई थी और यद्यपि इसे विधि - निर्माण का अधिकार नही है परंतु यह नवीन आर्थिक नीतियों के सुझाव दे सकती है । इस संसद के लिए सदस्य राज्यों की राष्ट्रीय संसदों द्वारा प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते थे । वर्तमान में इसके सदस्यों के लिए सदस्य - राज्यों की जनता अपने प्रतिनिधियों का प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन करती है । न्यायालय की स्थापना भी 1952 में की गई थी और यह समुदाय के विभिन्न अंगों एवं सदस्य - राज्यों के मध्य विवादों का समाधान करता है और समुदाय की संधियों की व्याख्या भी करता है । यूरोपीय समुदाय निरंतर अधिकाधिक आर्थिक एवं राजनीतिक एकीकरण की ओर गतिशील है । जनवरी, 1991 में मास्ट्रिक्ट संधि से यह समुदाय इस शताब्दी के अंत तक एक संघ या परिसंघ में परिवर्तित हो जाएगा, ऐसा अनुमान है और समुदाय की एक सामान्य मुद्रा होगी र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा यहाँ तक कि प्रतिरक्षा के क्षेत्र में भी सामान्य नीतियाँ होंगी । यद्यपि ब्रिटेन समुदाय के अधिक एकीकरण का विरोद कर रहा है और वहां का जनमानस किसी भी दशा में यूरोपीय संघ या परिसंघ की अवधारणा के वरूद्ध है, परंतु समुदाय के अन्यि सदस्य - राज्य परस्पर एकीकरण के लिए दृढ़ संकल्प है । इस समय (1992) बेल्जियम, फ्रांस, ग्रीस, लक्ज़मबर्ग, इटली, आयरलैंड, डेनमार्क, नीदरलैंडस, पुर्तगाल, स्पेन, युनाइटेड किंगडम और जर्मनी इसके सदस्य हैं ।

Eruopean Convention on Extradition
यूरोपीय प्रत्यर्पण - अभिसमय प्रत्यर्पण संधियाँ प्रायः द्वि - पक्षीय होती हैं । इस विषय में बहु - पक्षीय संधि अपवाद है । इस अपवाद का एक उदाहरण 13 दिसंबर, 1957 का प्रत्यर्पण विषयक यूरोपीय अभिसमय है । यह अभिसमय यूरोपीय समुदाय के सदस्य देशों में प्रत्यर्पण संबंधी मामलों का नियामक है ।

European Convention on Human Rights
यूरोपीय मानव अधिकार अभिसमय इस अभिसमय पर रोम में यूरोपीय परिषद् के सदस्य - राज्यों द्वारा 4 नवंबर, 1950 को हस्ताक्षर किए गए थे और यह 1953 से प्राबवकारी हुआ । इसको स्वीकार करने वाले राज्य आस्ट्रिया बेल्जियम, ब्रिटेन, साइप्रस, डेनमार्क, जर्मनी, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नार्वे, स्वीडन हैं यूरोपीय परिषद के तीन सदस्यों यथा फ्रांस, माल्टा और स्वीडन ने इसे स्वीकार नहीं काय । इसका उद्देश्य सदस्य - राज्यों के मध्य आदारभूत मानवीय अधिकारों तता स्वतंत्रताओं के रक्षार्थ यूरोपीय धरातल पर अंतर्राष्ट्रीय निकायों की स्थापना करना था जिनमें दो विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं - 1. यूरोपीय मानव अधिकार आयोग, और 2. यूरोपीय मानव अधीकार न्यायालय । मानव अधिकार आयोग सदस्य - राज्यों में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जाँच कर उन पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है । ऐसा राज्यों के अनुरोध पर किया जा सकता है परंतु यदि राज्य इसके लिए सहमत हों तो यह कार्य किसी व्यक्ति, व्यक्ति समूह अथवा गैर सरकारी संगठन के अनुरोध पर भी किया जा सकता है । 1950 के उपरांत व्यक्तियों और गैर सरकारी संगठनों के अनुरोध पर भी यह आयोग मानव अधिकार उल्लंघनों के मामले से संबंधित याचिकाएँ स्वीकार करने लगा है । यूरोपीय मानव अधाकार न्यायालय की स्थापना 1959 में की गई थी । न्यायालय के समक्ष केवल इसके क्षेत्राधिकार को स्वीकार करने वाले केवल यूरोपीय राज्य मामले पेश कर सकते हैं, वय्क्ति नहीं ।


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