राज्य - समुदाय
समान हतों एवं लक्ष्यों के कारण एक दूसरे से पारस्परिक सहयोग एवं संसर्ग के लिए स्वतंत्र राज्यों का वह सामूहिक पक्ष जो उन्हें एक समुदाय या समूह का रूप प्रदान करता है अर्थात् राज्य मात्र गणित की संख्याओं का योग न रहकर, एक सामूहिक इकाई का रूप प्राप्त कर लेते हैं ।
compensation
क्षतिपूर्ति, मुआवज़ा
किसी भी अंतर्राष्ट्रीय अपचार के लिए क्षतिग्रस्त पक्ष की तुष्टि किया जाना । यह तुष्टि तीन प्रकार से की जा सकती है - (1) हर्ज़ाना देकर जैसे विदेश सम्पत्ति के अभिग्रहण के लिए उसके मूल स्वामी को सम्पत्ति के मूल्य के बराबर धनराशि प्रदान की जा सकती है । यह विवादग्रस्त है कि सम्पत्ति का मूल्य चालू बाजार भाव से निश्चित किया जाए या किसी काल्पनिक मानदंड के अनुसार; (2) प्रत्यास्थापन (restitution) द्वारा जिसका अर्थ है अवैध कार्य की तुरंत समाप्ति और पूर्व स्थिति की पुनः स्थापना जैसे युद्ध काले में शुत्रु प्रदेश मुक्त कर देना । वास्तव में क्षतिपूर्ति प्रत्यास्थापन से ही हो सकती है हर्ज़ाना देकर क्षतिपूर्ति उसी दशा में की जानी चाहिए जब बौतिक या वैधिक कारमों से प्रत्यास्थापन संभव न हो; तथा (3) तुष्चि द्वारा समामान्यतः लघु अपराधों के लिए ही तुष्टि की मांग की जाती है जैसे क्षमायाचना, अपराध स्वीकृति आदि ।
composite state
सम्मिश्र राज्य
विभिन्न राज्यों द्वारा संगठित एवं निर्मित एक संयुक्त या संयोजित राज्य जो दो या अधिक पड़ौसी राज्यों द्वारा किसी सामान्य शत्रु राज्य का मुकाबला एवं विरोध करने, अपने हितों की रक्षा करने तथा विभिन्न कामों और सुविधाओं की प्राप्ति के लिए एक नवीन राजनीतिक इकाई के रूप में निर्मित कर लिया जाता है । इसके चार स्वरूप पाए जाते हैं :-
1. संघ (federation) ;
2. वास्तविक राज्य संघ (rreal union) ;
3. वैयक्तिक संघ () तथा
4. महासंघ ()
उपर्युक्त (1) और (2) संघ के घटकों का कोई अंतर्राष्ट्रीय अस्तित्व नहीं रह जाता और अंतर्राष्ट्य प्रयोजनों के लिए संघ एक इकाई माना जाता ह । इसके विपरीत (3) और (4) की स्थितियों में संघ के घटकों का अंतर्रष्ट्रीय व्यक्तित्व बना रहातै ह ।
compromis
समझौता, कम्प्रोमिस
दो राष्ट्रों के बीच एक विशिष्ट तथा औपचारिक समझौता जिसके अंतर्गत वे अपने किसी विवादि को निपटाने के लिए उसे किसी अंतर्राट्रीय नयायालय या किसी विवाचन अधिकरण को सौंपने का निश्चय करेत हैं ।
दे. Compromis d'arbitrage भी ।
compromis d'arbitrage
विवाचन समझौता
किसी पंच या पंचों की सहायता से अपने विवाद को निपटाने के लिए किनहीं दो या अधिक राज्यों के बीच किया गया वह विशिष्ट समझौता जिसके आधार पर पंच या पंचों की नियुक्ति की जाती है और विवाद का निपटारा किया जाता है । इस समझौते में विवाद से संबंधित नियमों की व्यापक रूपरेखा का भी उल्लेख किया जा सकता है ।
compulsive measures
बाध्यकारी उपाय
अंतर्राष्ट्रीय विधि के प्रसंग में अंतर्राज्यीय विवादों के समाधान के लिए अपनाए गए ऐसे उपाय जिनमें बलप्रोयग या बलप्रयोग की धमकी दी गई हो । उदाहरणार्थ, प्रतिकर्म (retortion), प्रतिशोध (reprisal), हस्तक्षेप, शांतिकालीन नाकाबेंदी आदि । संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के सातवें अध्याय में भी ऐसे उपायों का उल्लेख है जिनका प्रयोग शांतिपूर्ण उपायों के असफल होने पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किया जा सकता है और जिनमें आर्थिक प्रतिबंध, सैनिक बल प्रयोग आदि शामिल है ।
यह विवादग्रस्त है कि राज्यों द्वारा अपनाए जाने वाले इस प्रकार के उपाय इस समय कहाँ तक वैध डैं क्योंकि सं. रा. के चार्ट के अनुच्छेद 2 (4) के अंतर्गत राज्यों द्वारा ऐसा बलप्रयोग या उसीक धमकी वर्जित है जिससे कीस दूसरे राज्य की प्रादेशिक अखंडता अथवा राजनीतिक स्वतंत्रता का हनन होता हो ।
compulsory adjudication
अनिवार्य अधिनिर्णय
राज्यों अथवा अन्य अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तियों के मध्य पारस्परिक संधियों, समझौतों अथवा संविदाओं के अंतर्गत आपसी वीवादों को अनिवार्यतः न्यायालयों या विशेष रूप से गठित न्यायाधिकरणों द्वारा अधिनिर्णय के लिए सौंपे जाने की व्यवस्था ।
compulsory arbitration
अनिवार्य विवाचन
राज्यों अथवा अन्य अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तियों के मध्य पारस्परिक संधियों समझौतों अथवा संविदाओं के अंतर्गत आपसी विवादों का अनिवार्यतः पंच निर्णय अथवा विवाचन द्वारा समाधान किए जाने की व्यवस्था ।
compulsory jurisdiction
अनिवार्य अधिकार क्षेत्र
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के विधान के अंतर्गत सदस्य - राज्य अपने निर्दिष्ट विवादों को सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का क्षेत्राधिकार स्वीकार करने की घोषणा क र सकते हैं । प्रायः राज्यं ने पारस्परिकता के आधार पर ऐसा किया है । ऐसा करने पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का क्षेत्राधिकार उनके ले अनिवार्य हो जाता है ।
concentration camp
बंदी शिविर
वह शिविर जहाँ युद्धबंदियों, राजनीतिक बंदियों, शरणार्थियों या विदेशी राष्ट्रिकों को रखा जाए । ऐसा विशेषकर आलातकाल या युद्धकाल में होता है ।
नाजी जर्मनी मे यहूदियों को और सोवियत संघ के साइबेरिया प्रांत में राजनीतिक विरोधियों को इस प्रकार के शिविरों में स्थानबद्ध कर उनको अनेक प्रकार की यातनाएँ दी गई । द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सं. रा. अमेरिका में जापानियों को भी इस प्रकार के शिविरों में रखा गाय था और इस संबंध में तर्क दिया गया था कि ऐसा करना अनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक था ।