SAARC (South Asian Association for Regional Cooperation)
दक्षेस (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन), सार्क
यह दक्षिण एशिया के सात देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। इसकी स्थापना सन् 1985 में की गई थी । इसके सदस्य - राज्य बंगला देश, भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मालदीव हैं । इसके शासनाध्यक्षों का प्रथम सम्मेलन सन् 1985 में ढाका मे हुआ था । इसका मुख्यालय काठमांडू में हैं ।
यह संगठन मुख्यतः एक गैर राजनीतिक संगठन है । इसका उद्देश्य सदस्य राज्यों के मध्य आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान - प्रदान को प्रोत्साहन देना है ।
यह संगठन उत्तर - दक्षिण वार्तालाप में गतिरोध उत्पन्न होने के उपरांत उस भावना का संस्थात्मक निरूपण है जिसे प्रायः दक्षिण - दक्षिण सहयोग कहा जाता है ।
Sanctions
शास्त्रियाँ, प्रतिबंध
1. वे व्यवस्थाएं अथवा शक्तियाँ जो अंतर्राष्ट्रीय विधि को बाध्यकारी बनाने में सहायक होती हैं अर्थात जिनके कारण अंतर्राष्ट्रीय विधि की पालन किया जाता है ।
2. अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए एक राज्य या राज्य - समूह अथवा संगठन के द्वारा किसी अपचारी राज्य अथवा राज्य - समूह के विरूद्ध लगाए गए प्रतिबंध जो कूटनीतिक, आर्थिक, सैनिक कोई भी स्वरूप ले सकते हैं, जैसे शस्त्रों के निर्यात पर रोक, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर रोक, व्यापारिक संबंधों पर प्रतिबंध, राजनयिक संबंधों का उच्छेदन आदि ।
राष्ट्र संघ की प्रसंविदा के अंतर्गत और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर मे भी अंतर्राष्ट्रीय शांति तता सुरक्षा बनाए रखने के लिए थथा अग्र आक्रमण का उत्त्र देने के लिए प्रतिबंधों विशेषकर आर्थिक प्रतिबंधों को, प्राथमिक उपचार के रूप में महत्व दिया गाय है ।
San Francisco Conference
सेनफ्रासिस्को सम्मेलन
यह सम्मेलन 25 अप्रैल 1945 से 26 जून, 1945 तक चला और इसमें 51 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें भारत भी एक था । इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के विधान को अंतिम रूप प्रदान करना था । सम्मेलन के समक्ष डम्बार्टन ओक्स में स्वीकृत प्रस्ताव थे जिनमें संयुक्त राष्ट्र क भावी संरचना निश्चित की गई थी । डम्बार्टन ओक्स प्रस्तावों पर सेनफ्रासिस्कों सम्मेलन में वाद -व वाद हुआ और अंत में उस प्रपत्र पर 50 राष्ट्रों के हस्ताक्षर हुए जिसे संयुक्त राष्ट्र का चार्टर कहा जाता है ।
यह उल्लेखनीय है कि सेनफ्रांसिस्को सम्मेलन ने डम्बार्टन ओक्स प्रस्तावों में अनेक महत्वपूर्ण संशोधन किए जैसे संयुक्त राष्र की महासभा के अधिकारों का प्रसार किया गया, मानव अधिकारों संबंधी अनेक प्रावधान डोड़े गए, न्यास पद्धति संबंधी प्रावधान जोड़े गे, आर्थिक और सामाजिक परिषद् को संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंगों में स्थआन दिया गया और क्षेत्रीय संगठनों संबंधी अनेक संशोधन किए गए ।
चार्टर पर 26 जून 1945 को 50 राज्यों ने हस्ताक्षर किए और 24 अक्तूबर, 1945 से आवश्यक संख्या में संपुष्टि पाकर वह लागू हुआ ।
समुद्र तल संधि
इस संधि का संपादन सन् 1971 में हुआ था । इसके अंतर्गत यह व्यवस्था की गई कि समदुर तल में नाभिकीय अस्त्रों का रखना वर्जित होगा । इसका पूरा नाम महासमुद्र और समुद्रतल पर नाभिकीय एवं अन्य जन - संहारक अस्त्रों को रखने पर निषएधकारी संधि है । इस संधि पर 10 फरवरी, 1971 से राज्यों ने हस्ताक्षर करना प्रारंभ किया । इस संधि के अंतर्गत कोई भी राज्य महासमुद्र तल में नाभिकीय अस्तर नहीं रख सकेगा । परंतु 12 मील के भूभागीय समुद्र तल के क्षेत्र में यह प्रतिबंध तटवर्ती राज्य पर लागू नहीं होगा ।
Secretary - General
महासचिव
संयुक्त राष्ट्र संघ के छह मुख्य अंगों मे से एक अंग सचिवालय है । सचिवालय का प्रधान महासचिव कहलाता है । महासचिव की नियुक्त सुरक्षा परिषद की संस्तुति पर महासभा द्वारा पाँच वर्ष के लिए की जाती है । चार्टर के अनुसार महासचिव संयुक्त राष्र संध का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है । वह महासभा, सुरक्षा परिषद्, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद और न्यास परिषद - सभी के मुख्य सचिव के रूप मे कार्य करता है और संगठन के कार्यसंबदी वार्षिक विवरण महासभा को प्रेषित करता है ।
महासचिव की स्थिति को महत्वपूर्ण बनाने में चार्टर का अनुच्छेद 99 निर्णायक सिद्ध हुआ है । इसमें कहा गया है कि महासचिव सुरक्षा परिषद् का ध्यान किसी भी ऐसे मामले की र आकर्षित कर सकता है जो उसके मतानुसार अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए संकटकारी हो ।
वास्तव में महासचिव की स्थिति बहुत कुछ उसेक अपने व्यक्तित्व और अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर निर्भर करती है ।
नार्वे के ट्रिग्वेली संयुक्त राषअट्र संघ के प्रथम महासचिव चुने गए थे । इनके पश्चात क्रमशः डाग हैमरशोल्ड ऊ थान्त, कुर्त वाल्दहीम, पेरेज दि कुइयार और वर्तमान में मिस्र के बुतरस घाली इस पद पर विद्यामान हैं ।
secret clause
गुप्त खंड
दो अथवा अधइक राज्यों के मध्य संपन्न किसी अंतर्राष्ट्रीय समझौते अथवा संधि का वह खंड जो पारस्परिक सुरक्षा अथवा किसी अन्य विशेष कारण, से गोपनीय या प्रकाशित रखा जाता है । संधिकर्त्ता राज्य इस प्रकार के खंड का उस समझौते अथवा संधि के अन्य खंडों के समान ही अनुपालन करने के लिए बाध्य होते हैं । अवसर आने पर संबंध राज्यों द्वारा गुप्त खंड का प्रकाशन किया जा सकता है ।
secret diplomacy
गुप्त राजनय
विभिन्न राज्यों द्वारा पारस्परिक स्वाथों की पूर्ति के लिए गोपनीय अथवा प्रच्छन्न रूप से अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं अथवा धि - वार्ताओं का संचालन करने की कला अथवा पद्धति । इस गुप्त कला अथवा पद्धति के अंतर्गत संबंध राज्यों द्वारा विभिन्न प्रकार की छलपूर्ण अथवा कपटपूर्ण प्रक्रियाओं, युक्तियों एवं कार्यपद्धतियों का प्रयोग भी किया जाता है ।
राष्ट्रपति बुश के शासनकाल में यह आरोप लगाया गया कि सं.रा. अमेरिका ने लेबनान से अमरीकी बंधकों को मुक्त कराने के लिए ईरान को गुप्त रूप से शस्त्रास्तर बेचे थे और यह धन निकारागुआ में स्थापित सरकार के विरूद्द कोन्ट्रा विद्रोहकारियों को सहायतार्थ भेजा गया था । इसे `यू. एस. ईरान कोन्ट्र डील` कहा जाता है ।
sector principle
क्षेत्रक सिद्धांत
अभिग्रहण के सातत्य और समीपता सिद्धांतों के अलावा एक तीसरा सिद्धांत जिसके द्वारा उत्तरी तथा दक्षिणा ध्रुवों के जनशून्य हिमाच्छादित प्रदेशों में विभिन्न राज्य अपनी स्थलीय सीमा और तटीस आधार रेखाओं से भूमंडल पर उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रवों तक खींची गई रेखाओं के भीतर ने वाले क्षेत्रकों पर, चाहे वह समुद्र हो अथवा भूमि अपनी प्रभुसत्ता का दावा करते हैं । इस दावे का आधार क्षेत्रक सिद्धआंत कहा जाता है । परंतु यह अंतर्राष्ट्रीय विदि में कोई मान्यता प्राप्त सिद्धांत कहा जाता है । परंतु यह अंतर्राष्ट्रीय विधि में कोई मान्यता प्राप्त सिद्धांत नहीं है । सोवियत संघ, वार्वे कनाडा और सं.रा. अमेरिका ने उत्ततरी ध्रुव के और चिली, अर्जेटांइना, ग्रेट ब्रिटेन ने दक्षिणी ध्रुव के वुभिन्न क्षेत्रकों (sectors) पर अपनी प्रभुस्त्ता का दावा किया है ।
Security Council
सुरक्षा परिषद
सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ के छह प्रधान अंगों में से एक है । वास्तव में इसे इन प्रधान अंगों में भी सर्वप्रधान कहा जा सकता है क्योंकि चार्टर के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने का मूल दायित्व इसी अंग पर है । वस्तुतः सुरक्षा परिषद को एक प्रकार से संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारिणी परिषद कहा जा सकता है ।
सुरक्षा परिषद् मे इस समय कुल पंद्रह सदस्य हैं जिनमें रूप, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका इसके स्थायी सदस्य हैं । शेष दस सदस्य - राज्य दो वर्ष की अवधि के लिए महासभा द्वारा चुने जाते हैं । सन् 1965 से पहले इसकी सदस्य संख्या ग्यारह थी जिनमें पाँच स्थायी सदस्य और छह अस्थायी सदस्य होते थे ।
सुरक्षा परिषद की कार्यविधि की मुख्य विशेषता यह है कि इसके द्वारा कोईभी निर्मय पाँचों स्थायी सदस्य - देशओं की सहमति के बिना नहीं लिया जा सकता अर्थात्यदि पाँचों स्थायी सदस्यों में से कोई भी एक सदस्य किसी निर्णय के विरूद्ध मत देता है तब वह उसके द्वारा निर्णय का निषेध माना जाएगा और इसे उसका निषएधाधिकार (veto) कहा जाता है ।
यह उल्लेखनीय है कि निषेधाधिकार प्रक्रियात्मक प्रश्नों पर लागू नहीं होता । परंतु कोई प्रश्न प्रक्रायत्मक है अथवा नहीं, इसका निर्णय करने के लिए निषेधाधिकार का प्रयोग किया जा सकता है ।
किसी स्थायी सदस्य - राज्य द्वारा मतदान में भाग न लेना उसका निषएधाधिकार का प्रयोग नहीं माना जाता ।