याल्टा समझौता
द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरणों मे (फरवरी, 1945 में) क्रीमीया (रूसी गणराज्य) के याल्टा नामक स्थान मे रूज़वेल्ट, चर्चिल और स्तालिन के मध्य युदूधोत्त्र व्यवस्था के संबंध में एक समझौता हुआ जिसकी प्रमुख धाराएँ निम्न थीं. :-
1. जर्मनी का आत्मसमर्पण बिना किसी शर्त के होगा ;
2. जर्मन युद्ध - अपराधियों को दंड देने के लिए शीघ्र ही न्यायिक कार्रवाई की जाएगी
3. जर्मनी से क्षतिपूर्ति ली जाएगी
4. पूर्वी यूरोप के जो राष्ट्र स्वतंत्र हो गए हैं उनमें लोकतांत्रिक चुनाव करवाए जाएँगे
5. पोलैंड व रूस की सीमाएँ ओडर एवं नीसी नदियों तक बढ़ा दी जाएँगो
6. सोवियत संघ यूरोप मे युद्ध समाप्ति के तीन मास के भीतर जापान के विरूद्ध युद्ध में शामिल हो जाएँगा
7. संयुक्त राष्ट्र मे सोवियत संग के अतिरिक्त उसके दो गणराज्यों यूक्रेन और बाइलोरूस को भी सदस्यता दी जाएगी
8. राष्ट्र संघ की अधिदेश पद्धति के स्तान पर एक नई व्यवस्था, जिसे न्यास व्यवस्थआ कहा गया, स्थापित की जाएगी तथा
9. सुरक्षा परिषद् में निषेधाधिकार का प्रयोग प्रक्रियात्मक प्रश्नों पर नहीं होगा ।
Yalta conference
याल्टा सम्मेलन
तीन महाशक्तियों - संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन और सोवियत संघ के शासनाध्यक्षों का यह शिखर सम्मेलन फरवरी, 1945 में सोवियत संघ के नगर याल्टा में हुआ था । इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया गाय था कि जम्बार्टन ओक्स प्रस्तावों पर विस्तृत रूप से विचार करने और उन्हें अंतिम रूप देने के उद्देश्य से लगभग 50 राष्ट्रों का एक सामान्य सम्मेलन बुलाया जाए । इस सम्मेलन मे भावी संगठन की सुरक्षा परिषद् में मतदान प्रक्राय संबंधी प्रावधान तय किए गए थे । इस प्रकार चार्टर की वीटो (निषएधाधिकार) संबंधी व्यवस्था याल्टा सम्मेलन मे तीन महाशक्तियों में हुए परस्पर समझौते की देन हैं ।