संवहनी पादपों के जिम्नोस्पर्मोप्सिड़ा वर्ग का एक गण। जुरैसिक युग के इन विचित्र पादपों की खोज भारत की राजमहल पहाड़ियों से हुई। इनमें कई गणों के लक्षण मिले-जुले रूप में पाए जाते हैं। इसका दारु कोनीफरेलीज के जैसा तथा पत्तियाँ साइकेडिएसी या साइकैडिऑइडेसी की जैसी होती हैं। इसका पुराना नाम पेन्टॉक्सिली था।
Pentoxyleae
पेन्टॉक्सिली
दे. Pentoxylales
Pentoxylon
पेन्टॉक्सिलॉन
संवहनी पादपों के जिम्नोस्पर्मोप्सिड़ा वर्ग के पेन्टॉक्सिलेलीज़ गण का एक वंश। जुरैसिक युग के इन तनों में पाँच या छः रंभ होते हैं।
Perforated stele
रंध्रित रंभ
रंभ, जिनकी असतता के कारण पर्ण-अवकाश नहीं होते।
Pericycle
परिरंभ
संवहन-तंत्र के बाहर तथा अंतस्त्वचा के भीतर का मृदुतकी ऊतक। यह मूलों तथा कुछ स्तंभों में पाया जाता है।
Pericytic
परिकोशिकीय
(रंध्र संमिश्र) जिसमें एक अकेली सहायक कोशिका द्वार-कोशिका को पूर्णतया घेरे रहती है।
Periderm
परित्वक्
मूलों तथा स्तंभों के बाहरी वल्कुट में पाया जाने वाला द्वितीयक संरक्षी ऊतक।