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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-II)

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कंचन
सुन्दर।
वि.

कंचनराज
एक प्राचीन नगर जो विदर्भ देश में था। यहाँ भीष्मक राज करते थे, जिनकी पुत्री रुक्मिणी को श्रीकृष्ण हर ले गये थे।
कंचनराज को काज सँवारयौ भूपन को यह काज १० उ.-१०८।
संज्ञा
[सं.]

कंचनी
वेश्या।
संज्ञा
[सं. कंचन]

कंचनी
अप्सरा।
संज्ञा
[सं. कंचन]

कंचुक
चपकन, अचकन।
संज्ञा
[सं]

कंचुक
वस्त्र।
संज्ञा
[सं]

कंचुक
एक प्रकार का कवच जो घुटने तक होता था।
संज्ञा
[सं]

कंचुक
चोली, अँगिया।
संज्ञा

कंचुक
केचुल।
संज्ञा

कंचुकि, कंचुकी
अँगिया, चोली।
(क) कसि कंचुकि, तिलक लिलार, सोभित हार हियै-१०-१४।(ख) कोउ केसरि कौ तिलक बनावति, कोउ पहिरति कंचुकी सरीर - १०-३५। (ग) कबहिं गुपाल कंचुकि फारी, कब भये ऐसे जोग–७७४। (घ) कनक-कलस कुच प्रकट देखियत आनन्द कंचुकि भूली - २५६१।
संज्ञा
[सं. कंचुकी]


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