छोभित सिंधु, सेष सिर कंपित, पवन भयौ गति पंग - ९ - १५८।
वि.
[सं]
कंपै
काँपता या हिलता डोलता है।
(क) कंपै भुव, बर्षा नहिं होइ - १ - २८६।,
(ख) कर कंपै, कंकन नहिं छूटै - ६ - २५।
(ग) जसुदा मदन गुपाल सुवावै। देखि सपन - गति त्रिभुवन कंपै, ईस विरंचि भ्रमावै - १० - ६५।