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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-II)

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कवर्ग का तीसरा व्यंजन | इसका प्रयत्न अद्योष अल्पप्राण है। इसका उच्चारण-स्थान कंठ है।

गंग
गंगा नदी।
गंग प्रवाह माहिं जो न्हाइ। सो पवित्र ह्वै सुरपुर जाइ–९-९।
संज्ञा
[सं. गंगा]

गंग
एक मात्रिक छन्द।
संज्ञा

गंग
अकबर का दरबारी एक कवि।
संज्ञा

गंगई
एक छोटी चिड़िया।
संज्ञा
[अनु. गें गें]

गंगकुरिया
एक तरह की हल्दी।
संज्ञा
[सं. गंगा+कूल]

गंगबरार
वह भूमि जो नदी की धार या बाढ़ के हटने पर निकल आती है।
संज्ञा
[हिं. गंगा+ फा. बरार= बाहर या ऊपर लाया हुआ]

गँगरी
एक तरह की कपास।
संज्ञा
[देश.]

गँगवा
एक पेड़।
संज्ञा
[देश.]

गंगसुत
भीष्म।
संज्ञा
[सं.]


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