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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-II)

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कंथी
भिखमंगा।
संज्ञा
[सं. कंथा=गुदड़ी]

कंद
गूदेदार और बिना रेशे की जड़
संज्ञा
[सं.]

कंद
कोमल मीठी दूब।
विहल भई जसोदा डोलतदुखित नंद उपनंद। धैनु नहीं पय स्रवति रुचिर मुख चरति नाहिं तृंन कंद - २७६०।
संज्ञा
[सं.]

कंद
बादल।
संज्ञा
[सं.]

कंद
जमी हुई चीनी, मिसरी।
संज्ञा
[फ़ा]

कंदन
नाश, ध्वंस।
संज्ञा
[सं.]

कंदन
नाशक, ध्वंस करनेवाला।
संज्ञा
[सं.]

कंदना
नाश करना, मारना।
क्रि. स.
[हिं. कंदन]

कंदर
गुफा, गुहा।
(क)सज्‍जा पृथ्वी करी विस्तार। गृह गिरि - कंदर करे अपार - २ - २०। (ख) अहो विहंग, अहो पन्नन- नृप, या कंदर के राइ। अबकैं मेरी विपति मिटावौ, जानकि देहु बताइ - ६ - ६४।
संज्ञा
[सं.]

कंदर
अंकुश।
संज्ञा
[सं.]


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