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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-II)

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कंदर
बादल।
संज्ञा
[सं. कंद]

कंदर
मूल।
सुंदर नंद महर के मंदिर प्रगट्यौ पूत सकल सुख कंदर - १० - ३२।
संज्ञा
[सं. कंद]

कंदरा
गुफा, गुहा।
(क) कहन लगे सब अपुनमें सुरभी चरै अघाइ। मानहुँ पर्वतकंदरा, मुख सब गए समाइ - ४३१। (ख) स्याम बलराम गये धनुषसाला। लियौ रथ तें उतरि रजक मारयौ जहाँ कंदरा तें निकसि सिंह-बाला - २५८५।
संज्ञा
[सं.]

कंदर्प
कामदेव।
संज्ञा
[सं.]

कंदा
कंद।
संज्ञा
[सं. कंद]

कंदा
शकरकंद।
संज्ञा
[सं. कंद]

कंदुक
गेंद।
संज्ञा
[सं.]

कंदुक
गोल तकिया।
संज्ञा
[सं.]

कंदुक तीर्थ
ब्रज का एक तीर्थ। श्री कृष्ण यहाँ गेंद खेलते थे; अतएव उनके उपासकों के लिए यह दर्शनीय स्थान है।
संज्ञा
[सं.]

कँदैला
गँदला, मैला, मलिन।
वि.
[हिं. काँदौ+ला (प्रत्य.)]


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