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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

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बस्ती
आबादी।
संज्ञा
[सं. वसति]

बस्ती
जनपद।
संज्ञा
[सं. वसति]

बस्तु
चीज, वस्तु।
संज्ञा
[सं. वस्तु]

बस्त्र
कपड़ा।
संज्ञा
[सं. वस्त्र]

बस्य
वश में, अधीन।
वि.
[सं. वश्य]
(क) रीछ कीस बस्य करौं, रामहि गहि ल्याऊँ ९-११८। (ख) जो जिहिं भाव भजै, प्रभु तैसे। प्रेम बस्य दुष्टनि कौं नसे -३९१। (ग) आइ पहूँच्यौ काल बस्य, पग इतहिं चलायौ-५८९।

बस्यौ
बसा, रहा, निवास बनाया।
कि. अ.
[हि. बसना]
जनम तौ बादिहिं गयौ सिराइ। हरि सुमिरन नहिं गुरु की सेवा, मधु्बन वस्यौ न जाइ १-१५५।

बस्यौ
सुख लूटा, आनंद मनाया, मौज उड़ायी।
क्रि. अ.
[हि. बसना]
ज्यौं विट पर-तिय सँग बस्यौ, (रे) भोर भए भई भीति-१-३२५।

बहँगा
बड़ी बहँगी।
संज्ञा
[सं. वहन +अंग]

बहँगी
बोझा ढोने की काँवर।
संज्ञा
[हिं. बहँगा]

बहक
मद में चूर होकर की गयी बात।
संज्ञा
[हि. बहकना]


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