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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

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देवनागरी वर्णमाला का चौबीसवाँ और पवर्ग का चौथा वर्ण जिसका उच्चारण-स्थान ओष्ठ है।

भंकार
भयानक शब्द।
संज्ञा
[सं. भय+करना]

भंग
टूटने का भाव, विनाश।
संज्ञा
[सं.]
(क) देवराज मष-भंग जानि कै बरष्यौ ब्रज पर आई-१-१२२।

भंग
बाधा, रुकावट।
संज्ञा
[सं.]
छाँड़ि मन हरि बिमुखन कौ संग। जिनके संग कुबुद्धि उपजति है, परत भजन में भंग-१-३३२।

भंग
तरंग, लहर।
संज्ञा
[सं.]

भंग
पराजय।
संज्ञा
[सं.]

भंग
खण्ड, भाग।
संज्ञा
[सं.]

भंग
टेढ़ापन।
संज्ञा
[सं.]

भंग
टेढ़े होने या झुकने का भाव।
संज्ञा
[सं.]

भंग
टेढ़ी, कुटिल, झुकी हुई।
वि.
अलक अबिरल चारु हास-बिलास भृकुटी भंग-६२७।


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