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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

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बहकाना
भुलावा देना, फुसलाना।
क्रि. स.
[हिं. बहकना]

बहकाना
(बच्चे को) बहलाना।
क्रि. स.
[हिं. बहकना]

बहत
धारण करते हो, रखते हो, वहन करते हो।
क्रि. अ.
[हिं. बहना]
सूर पतित कौं ठौर नहीं, तौ बहत बिरद कत भारौ-१-१३१।

बहत
(वायु) संचालित होती है, (वायु) चलती है।
क्रि. अ.
[हिं. बहना]
बहत पवन, भरमत ससि-दिनकर, फनपति सीस न डुलावै-१-१६३।

बहत
बहता है, प्रवाहित होता है।
क्रि. अ.
[हिं. बहना]
चहुँ दिसि कान्ह्-कान्ह करि टेरत अँसुवन बहत पनारे-३४४६।

बहति
सत्पथ से भटकती है।
क्रि. अ.
[हि. बहना]
सूर प्रभु कौ ध्यान चित धरि अतिहि काहे। बहति।

बहती
प्रवाहित होती हुई।
वि.
[हिं. बहना]
बहती गंगा में हाथ धोना (पाव पखारना) - ऐसी चीज या अवसर से लाभ उठाना जिससे सब लाभ उठा रहे हों।

बहतोल
नाली।
संज्ञा
[हि. बहता]

बहन
भगिनी, सहोदरा।
संज्ञा
[हिं. बहिन]

बहना
प्रवाहित होना।
क्रि. अ.
[सं. वहन]


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