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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

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बहु
वधू, बहू।
संज्ञा
[हिं - बहू]

बहुज्ञ
बहुत जानकारी रखनेवाला।
वि.
[सं.]

बहुटनी
बाँह का एक गहना।
संज्ञा
[हिं. बहूँटा]
बहु नग लगे जराव की अँगिया, भुला बहु्टनी बलय संग को।

बहुत
गिनती में अधिक, अनेक।
वि.
[सं. बहुतर]

बहुत
मात्रा में अधिक।
वि.
[सं. बहुतर]

बहुत
यथेष्‍ट, पर्याप्त।
वि.
[सं. बहुतर]
बहुत अच्छा - (१) ऐसा ही किया जायगा (स्वीकृति सूचक) (२) अच्छी बात है, समझ लेंगे (धमकाना)। बहुत करके - (१) प्रायः, बहुधा।(२) अधिक संभव तो यही है। बहुत-कुछ - (१) अधिकांश। (२) पर्याप्त, यथेष्ट। बहुत खूब - (१) बहुत बढ़िया (आश्चर्यसूचक)। (२) बहुत अच्छा (स्वीकृतिसूचक)। बहुत है - कुछ नहीं है (व्यंग्य)।

बहुत
अधिक, ज्यादा।
क्रि. वि.
(क) तुम प्रभू मोसौं बहुत करी-१-११६। (ख) सूर रहे समुझाइ बहुत, पै कैकइ-हठ नहिं जाइ-९-३०१।

बहुतक
बहुत से, बहुतेरे।
वि.
[हिं. बहुत +एक]
(क) बहुतक जन्म पुरीष-परायन, सूकर-स्वान भयौ -१-७८। (ख) बहुतक तपसी पचि-पचि मुए-४-९।

बहुतक
अधिक परिमाण में, ज्यादा।
क्रि. वि.
ता रिस मैं मोहिं बहुतक मारयो-2१-१५१।

बहुता, बहुताइ, बहुताई,
अधिकता।
संज्ञा
[हिं. बहु+ता]


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