logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

बहरत
बहलता है।
क्रि. अ.
[हिं. बहरना]
छिनछिन बिरस करति है सुंदरि क्यों बहरत मन मोर-2२१४।

बहरना
दुख की बात भूलकर चित दूसरी और लगना।
क्रि. अ.
[हिं, बहलना]

बहरना
चित प्रसन्न होना।
क्रि. अ.
[हिं, बहलना]

बहरा
न सुननेवाला।
वि.
[सं. बधिर, प्रा. बहिर]

बहराइ
बहलाकर, भुलावे में डालकर।
क्रि. स.
[हिं. बहलाना]
सबै सखा बैठे रहौ, मैं देखौं घौं जाइ। बच्छ-हरन जिय जानि प्रभू, आपु गए बहराइ-४९२।

बहराइ
चित्त प्रसन्न करके।
क्रि. स.
[हिं. बहलाना]

बहराइ
आवै, मन बहराइ - मन बहला आवे, (घूम-घाम कर) चित्त प्रसन्न कर ले।
प्र.
मैं पठवत अपने लरिका को आवै मन बहराइ ५१०।

बहराई
बहलायी हुई, जिसे भुलावे में डाला गया हो।
वि.
[हि. बहलाना]
जनु सुरभी बन बसतिं बच्छ बिनु, परबस पसुपति की बहराई-१०-१६९।

बहराई
बहकाया, फुसला दिया।
क्रि. स.
[हि. बहलाना]
उरहन देन ग्वालि जे आईं। तिन्हैं जसोदा दियौ बहराई।

बहराना
ऊबी हुई बात से चित्त हटाकर दूसरी ओर लगाना।
क्रि. स.
[हि. बहलाना]


logo