logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

बहाव
बहाती हैं, प्रवाहित करती हैं।
क्रि. स.
[हिं. बहाना]
जो रस ब्रह्मादिक नहिं पावै। सो रस गोकुल गलिनि बहावैं -१०-३।

बहाल
जैसा था वैसा ।
वि.
[फ़ा.]

बहाल
प्रसन्न।
वि.
[फ़ा.]

बहाव
बहने का भाव ।
संज्ञा
[हि. बहना]

बहाव
प्रवाह।
संज्ञा
[हि. बहना]

बहाव
बहती हुई धारा।
संज्ञा
[हि. बहना]

बहिः
बाहर।
अव्य.
[सं. बहिस्]

बहि
बह कर, नष्ट होकर।
क्रि. अ.
[हिं. बहना]

बहि
बहि जाइ-दूर हो जाय, नष्ट हो जाय (स्त्रियों की गाली)।
प्र.
(क) छाँड़ि देहु बहि जाइ मथानी सौंहदिवावति छोरहु आनी-३९१। (ख) हार बहि जाइ अति गई अकुलाइ कै सुत के नाउँ इक उहै। मेरैं-१५८६।

बहि
बहि गयो - गया-बीता है, तुच्छ है।
ऐसो को बहि गयो प्रजा ह्वै बसै तुम्हारैं-१०१४।


logo