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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

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बहाइ
देउ बहाइ-बहा दो, प्रवाहित कर दो।
प्र.
(क) प्रथमहि देउ गिरिहि बहाइ-९४३। (ख) मारौ स्याम राम दोउभाइ गोकुल देउ बहाइ-2५७८।

बहाईँ
प्रवाहित कीं।
क्रि. स.
[हिं. बहाना]
परत फिराइ पयोनिधि भीतर, सरिता उलटि बहाईँ ९-१२४।

बहाउ
बहा दे, नष्ट कर दे।
संज्ञा
[हि. बहाव]
काम-क्रोध-बिषाद-तृष्ना सकल जारि बहाउ १-३१४।

बहाऊँ
प्रवाहित करूँ, बहा दूँ।
क्रि. स.
[हिं. बहाना]
(क) पांडव-दल सन्मुख ह्वै धाऊँ, सरिता-रुधिर बहाऊँ-१-२७०। (ख) होइ सनमुख भिरौं, संक नहिं मन धरौं, मारि सब कटक सागर बहाऊँ-९-१२४।

बहाऊ
बहा दिया।
क्रि. स.
[हिं. बहाना]

बहाऊ
मारि बहाऊ-मारकर बहा दिया, नष्ट कर दिया, समाप्त कर दिया, मिटा दिया।
प्र.
भक्त हेत अवतार धरे,सब असुरनि मारि बहाऊ-१०-२२१।

बहादुर
साहसी।
वि.
[फ़ा]

बहादुर
पराक्रमी।
वि.
[फ़ा]

बहादुरी
साहस।
संज्ञा
[फ़ा.]

बहादुरी
पराक्रम।
संज्ञा
[फ़ा.]


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