logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

निर्बाध, निर्बाधित
बाधारहित।
वि.
[सं.]

निर्बाह
निश्चय के अनुसार किसी बात का पालन।
उ.- भक्ति-भाव की जो तोहिं चाह। तोसौं नहिं ह्वैहै निर्बाह-४-९।
संज्ञा
[सं. निर्वाह]

निर्बिष
विषरहित।
उ.-अति बल करि करि काली हार्यौ। लपाटि गयौ सब अंग-अंग प्रति, निर्बिष कियौ सकल बल झार्यौ-५७४।
वि.
[सं. निर्विष]

निर्बीर
वीर्यहीन, निस्तेज।
उ.-जे जे जात, परत ते भूतल, ज्यौं ज्वाला-गत चीर। कौन सहाइ, जानियत नाहीं, होत बीर निर्बीर-१-२६९।
वि.
[सं. निर्विर्य]

निर्बुद्धि
बुद्धिहीन, मूर्ख।
वि.
[सं.]

निर्बेद
विरक्ति या वैराग्य नामक एक संचारी भाव।
उ.-सूरज प्रभु ते कियो चाहियत है निर्बेद बिसेषी-सा. ४६।
संज्ञा
(सं. निर्वेद)

निर्बोध
अनजान, अज्ञान।
वि.
[सं.]

निर्भय
जिसे कोई डर न हो, निडर।
वि.
[सं.]

निर्भयता
निडरता।
संज्ञा
[सं.]

निर्भर
भरा-पूरा, पूर्ण।
वि.
[सं.]


logo