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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निर्मूल
जो सर्वथा नष्ट हो गया हो।
वि.
[सं.]

निर्मूलन
निर्मूल होना या करना।
संज्ञा
[सं.]

निर्मूल्यो
निर्मूल, नष्ट।
उ.-मरै वह कंस निर्बेस बिधना करै, सूर क्योहूँ, होइ निर्मूल्यो-२६२५।
वि.
[सं.]

निर्मोल, निर्मोलि
बहुत अधिक मूल्य का।
उ.-नैना लोभहिं लोभ भरे ¨¨¨¨। जोइ देखैं सोइ निर्मोलैं कर लै तहीं धरै।
वि.
[हिं. निः + मोल]

निर्मोह, निर्मोहिया, निर्मोही
जिसके मन में मोह-ममता न हो।
उ.-हरि निर्मोहिया सों प्रीति कीनी काहे न दुख होइ-२४०९।
वि.
[हिं. निर्मोह]

निर्मोहिनी
जिस (स्त्री) में मोह-ममता न हो, निर्दय।
वि.
[हिं. निर्मोही + इनी [प्रत्य.]]

निर्यात
वह जो कहीं से बाहर जाय।
संज्ञा
[सं.]

निर्यात
देश से माल के बाहर जाने की क्रिया।
संज्ञा
[सं.]

निर्यास
वृक्षों से बहनेवाला रस।
संज्ञा
[सं.]

निर्यास
बहना, झरना, क्षरण।
संज्ञा
[सं.]


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