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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निवारयौ
मिटाया, हटाया, दूर किया।
उ.-भयौ प्रसाद जु अंबरीष कौं, दुरबासा कौ क्रोध निबार्यौ-१-१४।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारयौ
दूर किया, हटाया।
उ.-सतगुरु कौ उपदेस हृदय धरि, जिन भ्रम सकल निवार्यौ-१-३३६।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारयौ
बचाया, रक्षा की।
उ.-मेघ बारि तैं हमैं निवारथौ-३४०९।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवाला
कौर, ग्रास।
संज्ञा
[फ़ा.]

निवास
रहने की क्रिया या भाव।
संज्ञा
[सं.]

निवास
वास-स्थान, गृह, घर।
उ.-सूरदास के प्रभु बहुरि, गए बैकुंठ-निवास-३-११।
संज्ञा
[सं.]

निवास
वस्त्र, कपड़ा।
संज्ञा
[सं.]

निवासित
बसा या बसाया हुआ।
वि.
[सं. निवास]

निवासी
रहने-बसनेवाला।
संज्ञा
[सं. निवासिन]

निवास्य
रहने-बसने योग्य।
वि.
[सं.]


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