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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निवेरी
नयी, अनोखी।
उ.-मैं कह आजु निवेरी आई ? बहुतै आदर करति सबै मिलि पहुने की कीजै पहुनाई।
वि.
[हिं. निवेरा]

निवेश
विवाह।
संज्ञा
[सं.]

निवेश
घर, गृह।
संज्ञा
[सं.]

निशंक
निडर, निर्भय।
परम निशंक समर सरिता तट क्रीड़त यादववीर-१० उ.-१०२।
वि.
[सं. निःशंक]

निश, निशा
रात्रि, रात।
संज्ञा
[सं. निशा]

निश, निशा
मेष, वृष, मिथुन आदि छह राशियाँ।
संज्ञा
[सं. निशा]

निशांत
प्रभात।
संज्ञा
[सं. निशा + अंत]

निशाकर
चंद्रमा।
संज्ञा
[सं.]

निशाचर
राक्षस।
संज्ञा
[सं.]

निशाचर
उल्लू।
संज्ञा
[सं.]


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