logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

निसाचरि
राक्षसी, निशाचरी।
उ.-रखवारी कौं बहुत निसाचरि, दीन्हीं तुरत पटाइ-९-६१।
संज्ञा
[सं. निशाचरी]

निसाथा
अकेला।
वि.
[हिं. नि + साथ]

निसान
नगाड़ा, घौंसा।
उ.-(क) हरि, हौ सब पतितनि कौ राजा। निंदा पर-मुख पूरि रह्यौ जग, यह निसान नित बाजा-१-१४४। (ख) धुरवा धुंधि बढ़ी दसहूँ दिसि गर्जि निसान बजायो-२८१९।
संज्ञा
[फ़ा. निशान]

निसानन
संध्या, प्रदोष काल।
संज्ञा
[सं. निशानन]

निसाना
लक्ष्य, निशाना।
संज्ञा
[फ़ा. निशाना]

निसानाथ
चंद्रमा।
संज्ञा
[सं. निशानाथ]

निसानी
निशान।
संज्ञा
[फ़ा. निशानी]

निसानी
स्मृतिचिह्न।
संज्ञा
[फ़ा. निशानी]

निसाने
नगाड़े, धौसे।
उ.-जाकौ दीनानाथ निवाजैं। भव-सागर मैं कबहुँ न झूकै, अभय निसाने बाजैं-१-३६।
संज्ञा
[फ़ा.]

निसापति
चंद्रमा।
संज्ञा
[सं. निशापति]


logo