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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निवारी
त्याग दी, छोड़ दी।
उ.-रावन हरन सिया कौ कीन्हो, लुनि नँदनंदन नींद निवारी-१०-१९८।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारी
सकै निवारी-हटा सकता है, रोक सकता है।
उ.-कबहूँ जुवाँ देहिं दुख भारी। तिनकौं सो नहिं सकै निवारी-३-१३।
प्र.

निवारी
जूही की जाति का एक पौधा या उसका फूल जो सफेद होता है।
संज्ञा
[सं. नेपाली]

निवारे
दूर किये, नष्ट किये, हटाये।
उ.-सूरदास प्रभु अपने जन के नाना त्रास निवारे-१-१०।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारे
रोक दिये, काट दिये।
उ.-रुक्मिनी भय कियो स्याम धीरज दियो, बान से बान तिनके निवारे-१० उ.-२१।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारैं
रोकें, मना करें।
उ.-पुनि जब षष्ट बरष कौ होइ। इत-उत खेल्यौ चाहै सोइ। माता-पिता निवारैं जबहीं। मन मैं दुख पावै सो तबहीं-३-१३।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारै
छोड़ती या त्यागती है।
उ.-जब तैं गंग परी हरि-पग ते बहिबो नहीं निवारै-३१८९।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारौं
दूर करूँ, हटाऊँ, नाश करूँ।
उ.-करौं तपस्या, पाप निवारौं-१-२६१।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारौ
दूर करो।
उ.-प्रभु मेरे गुन- अवगुन न बिचारौ। कीजै लाज सरन आए की, रवि-सुत आस निवारौ-१-१११।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारौ
मिटाया, हटाया, दूर किया।
उ.-कियौ न कबहूँ बिलंब कृपानिधि, सादर सोच निवारौ-१-१५७। (ख) अंबरीष कौ साप निवारौ-१-१७२।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]


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