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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निवारण, निवारन
मिटाने, हटाने या दूर करने की क्रिया।
संज्ञा
[हिं. निवारण]

निवारण, निवारन
छुटकारा, निवृत्ति।
संज्ञा
[हिं. निवारण]

निवारण, निवारन
निवृत्ति या छुटकारा दिलानेवाला।
उ.-तीनि लोक के ताप-निवारन, सूर स्याम सेवक सुखकारी-१-३०।
संज्ञा
[हिं. निवारण]

निवारण, निवारन
हटाने, दूर करने या मिटाने के उद्देश्य से।
उ.-अजिर चली पछिताति छींक कौ दोष निवारन-५८९।
संज्ञा
[हिं. निवारण]

निवारना
रोकना, हटाना।
क्रि. स.
[सं. निवारण]

निवारना
बचाना।
क्रि. स.
[सं. निवारण]

निवारना
निषेध या मना करना।
क्रि. स.
[सं. निवारण]

निवारहु
रोको, दूर करो, हटाओ, छोड़ो।
उ.-लेहु मातु, सहिदानि मुद्रिका, दई प्रीति करि नाथ। सावधान ह्वै सोक निवारहु, ओड़हु दच्छिन हाथ-९-८३।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारि
छोड़कर, रोककर, त्यागकर।
उ.-अपनी रिस निवारि प्रभु, पितु मम अपराधी, सो परम गति पाई-७-४।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारी
हटायी, दूर की, नष्ट की।
उ.- (क) लाखा-गृह तैं, सत्रु-सैन तैं, पांडव-बिपति निवारी-१-१७। (ख) सरनागत की ताप निवारी-१-२८।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]


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