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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निवाजिश
कृपा, दया।
संज्ञा
[फ़ा.]

निवाजैं
अनुग्रह करें, कृपा करके अपना लें।
उ.-जाकौं दीनानाथ निवाजैं। भवसागर मैं कबहूं न झूकै, अभय निसाने बाजैं-१-३६।
वि.
[हिं. निवाजना]

निवाज्यो, निवाज्यौ
कृपा करके अपना लिया।
उ.-सकटा तृना इनहीं संहारथौ काली इनहिं निवाज्यो-२५८१।
क्रि. स.
[हिं. निवाजना]

निवाड़
मोटे सूत की बिनी पट्टी।
संज्ञा
[फ़ा. नवार]

निवान
झुकाना, नीचे करना।
संज्ञा
[सं. निम्न]

निवार
तिन्नी का धान, पसही।
संज्ञा
[सं. नीवार]

निवारक
रोकनेवाला।
संज्ञा
[सं.]

निवारक
मिटाने या नष्ट करनेवाला।
संज्ञा
[सं.]

निवारति
दूर करती हे, मिटाती है।
झझकि उठथौ सोवत हरि अबहीं, (जसुमति) कछु पढ़ि तन-दोष निवारति -१०-२००।
क्रि. स.
[हिं. निवारना]

निवारण, निवारन
रोकने की क्रिया।
संज्ञा
[हिं. निवारण]


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