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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निवसथ
सीमा।
संज्ञा
[सं.]

निवसन
घर।
संज्ञा
[सं. निस् + वसन]

निवसन
वस्त्र।
संज्ञा
[सं. निस् + वसन]

निवसना
रहना, निवास करना।
क्रि. अ.
[हिं. निवस]

निवह
समूह।
संज्ञा
[सं.]

निवह
एक वायु-रूप।
संज्ञा
[सं.]

निवाई
नया, नवीन।
वि.
[सं. नव]

निवाई
अनोखा, अदभुत।
उ.-पुनि लक्ष्मी यों विनय सुनाई। डरौं रूप यह देखि निवाई।
वि.
[सं. नव]

निवाज
अनुप्रह करनेवाला, कृपालु।
उ.-खंभ फारि हरनाकुस मारथौ, जन प्रहलाद निवाज-१-२५५।
वि.
[फ़ा. निवाज़]

निवाजना
कृपा करना।
क्रि. स.
[हिं. निवाज़]


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