logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

निलज
लज्जाहीन, बेशर्म।
उ.-हौं तौ जाति गँवार, पतित हौं, निपट निलज, खिसिआनौ-१-१९६।
वि.
[सं. निर्लज्ज]

निलजइ, निलजई
निर्लज्जता, बेशर्मी, बेहयाई।
संज्ञा
[सं. निर्लज्ज + ई [प्रत्य.]]

निलजता, निलजताई
बेशर्मी, बेहयाई, निर्लज्जता।
संज्ञा
[सं. निर्लजता]

निलज्जी
लाजहीन (स्त्री)।
वि.
[हिं. निर्लज्ज]

निलज्ज
लज्जाहीन, बेशर्म।
उ.-इनकैं गृह रहि तुम सुख मानत। अति निलज्ज, कछु लाजन आनत-१-२८४।
वि.
[सं. निर्लज्ज]

निलय, निलै
घर।
उ.- नील निलै मिलि घंटा बिबिधि दामिन मनो षोडस सृंगार सोभित हरि हीन-सा. उ. ३८।
संज्ञा
[सं.]

निलय, निलै
(२) स्थान।
संज्ञा
[सं.]

निवछरा, निवछरो, निवछरौ
(ऐसा समय) जब बहुत काम-काज न हो, फुर्सत का या खाली (समय)।
उ.-अबहिं निवछरौ समय, सुचित ह्वै, हम तौ निधरक कीजै-१-१९१।
वि.
[सं. निवृत्त]

निवरा
जिसके वर न हो, कुमारी।
वि.
[सं.]

निवसथ
गाँव।
संज्ञा
[सं.]


logo