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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निर्धार, निर्धारण
निश्चित, निर्णय।
संज्ञा
[सं.]

निर्धार, निर्धारण
गुण कर्म आदि के विचार से छाँटना या अलग करना।
संज्ञा
[सं.]

निर्धारक
निश्चय करनेवाला।
संज्ञा
[सं.]

निर्धारना
निश्चित करना।
क्रि. स.
[सं. निर्धारण]

निर्धारित
स्थिर या निश्चित किया हुआ।
वि.
[सं.]

निर्धूत
धोया हुआ।
वि.
[सं.]

निर्धूत
खंडित।
वि.
[सं.]

निर्धूत
त्यक्त।
वि.
[सं.]

निर्धूम
आग जिसमें धुआँ न हो।
उ.- (क) नई दोहनी पोंछि पखारी धरि निर्धूम खीरनि पर तायो-११७९। (ख) मनहुँ धुईं निर्धूम अग्नि पर तप बैठे त्रिपुरारी-१६८९।
वि.
[हिं. निः + धूम]

निर्निमेष
बिना पलक झपकाये।
क्रि. वि.
[सं.]


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