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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निरंबु
बिना पानी का, निर्जल।
वि.
[सं.]

निरंबु
बिना पानी या जल पिये।
वि.
[सं.]

निरंभ
निर्जल।
वि.
[सं. निरंभस्]

निरंभ
जिस (व्रत, साधना) में बिना पानी पिये रहा जाय।
वि.
[सं. निरंभस्]

निरंश, निरंस
जिसे अपना प्राप्य भाग न मिला हो।
उ.- सेष सहसफन नाथिज्यों सुरपतिकरे निरंस १११२।
वि.
[सं.]

निरअंतर
लगातार, सदा।
उ.- उरझ्यौ बिबस कर्म निरअंतर, स्रमि सुख-सरनि चह्यौ - १-१६२।
क्रि. वि.
[सं. निरंतर]

निरउत्तर
जो उत्तर न दे सके। मौन, चुप।
उ.- निरउत्तर भई ग्वालि बहुरि कह कछू न आयो - १०७२।
वि.
[सं. निरुत्तर]

निरक्षर
अशिक्षित।
वि.
[सं.]

निरक्षर
मूर्ख।
वि.
[सं.]

निरखत
ताकते या देखते हैं।
उ.- (क) जद्यपि विद्यमान सब निरखत, दुःख सरीर भर्यौ - १-१००। (ख) दुष्ट-सभा पिसाच दुरजोधन, चाहत नगन करी। भीषम, द्रोन, करन, सब निरखत, इनतैं कछु न सरी - १-२५४।
क्रि. स.
(हिं. निरखना)


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