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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निरस
सारहीन।
वि.
[सं.]

निरस
जिसमें आनंद न हो, शुष्क।
स.- ऊधौ प्रेमरहित जोग निरस काहे को गायो-३०५७।
वि.
[सं.]

निरस
दया-ममता-स्नेह-रहित।
उ.- संकित नंद निरस बानी सुनि बिलम करत कहा क्यों न चलैं-२६४७।
वि.
[सं.]

निरस
रूखा-सूखा, जिसमें जल या तरी न हो।
वि.
[सं.]

निरस
विरक्त।
वि.
[सं.]

निरसन
दूर करना, हटाना।
संज्ञा
[सं.]

निरसन
रद या अस्वीकार कर देना।
संज्ञा
[सं.]

निरसन
निराकरण।
संज्ञा
[सं.]

निरस्त
फेंका या छोड़ा हुआ (तीर आदि)।
वि.
[सं.]

निरस्त
त्यागा या अलग किया हुआ।
वि.
[सं.]


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