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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निरुत्सुक
जो उत्सुक न हो।
वि.
[सं.]

निरुद्ध
रुका या बँधा हुआ।
वि.
[सं.]

निरुद्ध
योग की पाँच मनोवृत्तियों क्षिप्त, मूढ़, विक्षिप्त, एकाग्र और निरुद्ध-में एक जिसमें चित्त अपनी प्रकृति में ही स्थिर हो जाता है।
संज्ञा
[सं.]

निरुद्देश्य
उद्देश्यहीन।
वि.
[सं.]

निरुद्देश्य
बिना किसी उद्देश्य के।
क्रि. वि.

निरुद्यम
जिसके पास काम न हो।
वि.
[सं.]

निरुद्यमी
जो काम न करता हो।
वि.
[हिं. निरुद्यम]

निरुद्योग
जिसके पास उद्योग न हो।
वि.
[सं.]

निरुद्योगी
जो उद्योग न करे।
वि.
[हिं. निरुद्योग]

निरुपम
अनुपम, बेजोड़।
वि.
[सं.]


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