logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

निरूपम
अनुपम, बेजोड़।
वि.
[सं. निरुपम]

निरूपि
निर्णय करके, ठहराकर, विचार करके, निश्चित करके।
उ.- गर्ग निरूपि कहयौ सब लच्छन, अबिगत हैं अबिनासी-१०-८७।
क्रि. अ.
(हिं. निरूपना)

निरूपित
जिसकी विवेचना हो चुकी हो।
वि.
[सं.]

निरूप्य
जो विवेचन के योग्य हो।
वि.
[सं.]

निरेखना
देखना, निरखना।
क्रि. स.
[सं. निरीक्षण]

निरै
नरक।
उ.- औरौ सकल सुकृत श्रीपति हित, प्रति-फल-हित सुप्रीति। नाक निरै, सुख-दुख, सूर नहिं, जेहि की भजन प्रतीति-२-१२।
संज्ञा
[सं. निरय]

निरैठा
मस्त, मनमौजी।
वि.
(सं. निर् + ईहा या इष्ट)

निरोग, निरोगी
रोगरहित।
वि.
[सं. नीरोग]

निरोठा
कुरूप, बदसूरत।
वि.
[देश.]

निरोध
रोक, रूकावट।
संज्ञा
[सं.]


logo