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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निरबेरा
मुक्ति।
संज्ञा
[सं. निर्वाह]

निरबेरा
उद्धार।
संज्ञा
[सं. निर्वाह]

निरभय
निर्भय, निडर।
उ.- बिविध आयुध धरे, सुभट सेवत खरे, छत्र की छाहँ निरभय जनायौ - ९-१२९।
वि.
[सं. निर्भय]

निरभर
अवलंबित, आश्रित।
वि.
[सं. निर्भर]

निरभिमान
अभिमान रहित।
वि.
[सं.]

निरभिलाष
अभिलाषा रहित।
वि.
[सं.]

निरभैं
निर्भय, निडर।
उ.- होउँ बेगि मैं सबल सबनि मैं, सदा रहौं निरभैंरी- १७६।
वि.
[सं. निर्भय]

निरभ्र
मेघशून्य, निर्मल।
वि.
[सं.]

निरमना
निर्माण करना।
क्रि. स.
[सं. निर्माण]

निरमर, निरमल
स्वच्छ, निर्मल।
उ.- पूँगीफल-जतु जल निरमल धरि, आनी भरि कुंडी जो कनक की-९-२५।
वि.
[सं. निर्मल]


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