लैडल
गलित धातु को साँचों तक ले जाने एवं उड़ेलने के लिए प्रयुक्त एक पात्र जिसमें किसी उच्च तापसह पदार्थ का आस्तर लगा होता है। कुछ लैडलों में धातु को चंचु से और कुछ में अधस्तल से उड़ेला जा सकता है। जिस लैडल से घातु को अधस्तल में उड़ेला जाता है उसकी तली पर एक छिद्र होता है जिसमें एक तुंड लगा होता है। यह तुंड एक ऊर्ध्वावधिर उच्चतापसह डाट या प्लग द्वारा बंद रहता है। प्लग को हाथ से चलाया जाता है। कुछ लैडल चाय की केतली के आकार के भी होते हैं। ठीक प्रकार न बनाए गए लैडलों में पाए जाने वाले दोषों से बचने के लिए उन्हें उपयोग करने से पहले स्वच्छ, शुष्क और गरम कर लेना चाहिए।
Ladle addition
लैडल योज्य
लैडल में उपस्थित गलित धातु में मिलाई जाने वाली अन्य धातुएँ, यौगिक अथवा फेरो मिश्रातु।
Ladle analysis
लैडल विश्लेषण
साँचे में डालने से ठीक पहले लैडल से लिए गए धातु का विश्लेषण। इससे ढले उत्पाद के रासायनिक संघटन का पता लगता है।
Ladle metallurgy
लैडल धातुकर्म
Lamella
पटलिका
पतली पट्टिकाओं अथवा शल्कों के लिए प्रयुक्त शब्द।
Lamellar structure
स्तरित संरचना
पतली चादरों अथवा परतों की बनी संचना जो सामान्यतय एकांतरतः भिन्न संघटन की परतों की बनी होती है। पटलित संरचना के विपरीत, यह शब्द कुछ खनिजों में पाई जाने वाली प्राकृतिक संरचना अथवा पर्लाइट आदि संरचनात्मक घटकों को व्यक्त करता है।
Lamination
पटलन
बेल्लित पदार्थों में पाया जाने वाल दोष। इसमें बेलन की दिशा में पदार्थ की परतों में विभाजन की प्रवृत्ति होती है। इस दोष का कारण अधात्विक अंतर्वेशों की उपस्थिति अथवा पदार्थ में उपस्थित अन्य असतताएँ हैं।
Lancashire brass
लंकाशायर पीतल
एक ताम्र यशद मिश्रातु जिसमें 27 प्रतिशत यशद होता है। यह आधातवर्ध्य और तन्य होता है। इसका उपयोग पट्टी रंचित उत्पादों में होता है।
Lance
लांस
सब पर गैस के संभरण से जुड़ा लंबा, पतला पाइप। इसका उपयोग किसी भाष्ट्र में गलित धातु या धातुमल की सतह पर या सतह से नीचे गैस को प्रविष्ट करने के लिए होता है उदाहरणार्थ कार्बन क्वथन को प्रेरित करने के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग अथवा अन्य गैसों के निष्कासन के लिए ऑर्गन का प्रयोग। लांस दो प्रकार के होते हैं।
1. उपभोज्य लांस (Consumable lance)-- ये मृदु इस्पात के बने साधारण पाइप होते हैं और लान्सन प्रक्रम के दौरान अर्थात गैस प्रविष्ट करते समय जल जाते हैं।
2. अनुपभोज्य लांस (Nonconsumable lance)-- इनमें प्रायः मृदु इस्पात के बने तीन संकेंद्री पाइप होते हैं। गैस सबसे भीतरी पाइप से प्रवाहित की जाती है जो प्रायः तांबे के बने अभिसारी अपसारी प्रकार के तुंड में समाप्त होती है। शीतलन प्रायः जल द्वारा किया जाता है जो बीच के पाइप से प्रवेश कर सबसे बाहरी पाइप से बाहर निकलता है। कभी-कभी उच्च ऊष्मा-क्षमता वाली गैसों का उपयोग भी शीतलक के रूप में किया जाता है। बहुतुंड वालें लांसों का उपयोग भी होता है।