बलि
(1) फोर्जित, संचकित अथवा बेल्लित उत्पादों के पृष्ठों पर सीवन के रूप में उत्पन्न दोष। यह गरम धातु के पक्षकों अथवा नुकीले कोनों के मुड़नें से उत्पन्न होता है जिसका बेल्लन या फोर्जन करने पर बेल्डन नहीं होता। यह दोष कभी-कभी पिटवाँ उत्पादों को मोड़ने से भी उत्पन्न होता है। सावधानीपूर्वक कर्मण न करने से या बेल्लनों में खाँचों के कारण भी यह दोष उत्पन्न हो सकता है। संचक-उत्पादों में यह दोष धीरे-धीरे उड़ेलने--अथवा कम अवपातन ताप (Teeming temperature) के कारण उत्पन्न होता है।
(2) लैपन-क्रियाओं में प्रयुक्त औजार जो मृदु ढलवाँ लोहे, वंग, तांबा, पीतल अथवा सीसे का बना होता है। इस पर अपघर्षक या पालिश-चूर्ण लगा होता है।
Lap joint
बलि संधि
एक प्लेट-संधि जिसमें धातु का एक टुकड़ा दूसरे पर अधिव्याप्त होता है। संधियुक्त वस्तुओं को परस्पर वेल्डित या रिवेट किया जाता है। सीवन के अनुदिश वेल्डिंग किया जाता है तथा रिवेटों को एक, दो या तीन श्रेणियों में व्यवस्थित किया जाता है।
Lapping
सुपालिशन
किसी वस्तु के चकासन और ठीक साइज देने का प्रक्रम जिसका उद्देश्य अंतिम उत्पाद को उत्तम परिसज्जा और अधिकतम यथार्थता प्रदान करना है। इसका उपयोग इंजन के सिलिंडरों, बंदूक के बैरलों आदि की सूक्ष्म परिसज्जा के लिए होता है।
Lap weld
बलि वेल्ड
अधिव्यापन करने वाले धातु के दो टुकड़ों को परस्पर बेल्ड करने से बनी संधि।
Lap welded joint
बलि वेल्डित
देखिए-- Welded joint
Larson-Miller parameter
लार्सन-मिलर प्राचल
तापों और प्रतिबलों के परास पर किसी पदार्थ के सर्पणव्यवहार पर आधारित प्राचल। इसकी सहायता से ज्ञात आँकड़ों द्वारा वांछित ताप और प्रतिबल पर उस पदार्थ के सर्पण-व्यवहार का अनुमान लगा लिया जाता है।
Laser welding
लैसर वेल्डिंग
देखिए-- Welding
Lattens
लैटन्स
तप्त बेल्लित यशद-ताम्र मिश्रातु जिसका उपयोग स्मारकों, मूतियों आदि के निर्माण में होता है। इस शब्द का प्रयोग 25-27 प्रमाप (बी0जी0) की तप्त बेल्लित चादरों के लिए भी होता है।
Lattice defect
जालक दोष
किसी नियमित त्रिविम जालक में परमाणुओं के परिपूर्ण ज्यामितीय व्यूह का विपथन। जालक दोषों का वर्गीकरण इस प्रकार किया जाता है--
(1) रेखा दोष (Line defect)--
रेखा दोष तीन प्रकार के हो सकते हैं :--
(क) प्रभंश (Dislocation) :- प्रभंश भी तीन प्रकार के होते हैं--
(1) कोर प्रभ्रंश (Edge dislocation)---
देखिए-- Dislocation
(2) आंशिक प्रभ्रंश (Partial dislocation)
देखिए-- Dislocation
(3) स्क्रू प्रभ्रंश ( Screw dislocation)
देखिए-- Dislocation
(ख) चिति दोष (Stacking fault)---
किसी क्षेत्र में परमाणुओं की नियमित चितिकरण--व्यवस्था में व्यवधान पड़ने से उत्पन्न रेखा दोष जो आंशिक प्रभ्रंशों से घिरा होता है। अल्प चिति-दोष- ऊर्जा के कारण प्रभ्रंशों का वियोजन होने से विस्तृत प्रभंश (Extended dislocations) उत्पन्न होते हैं। उच्च चितिकरण-दोष ऊर्जां के कारण क्रॉस में वृदधि होती है। विलेय पदार्थ के परमाणु प्रायः चितिकरण-दोष-ऊर्जा को कम कर देते हैं इस कारण क्रॉस सर्पण की संभावना कम रहती है।
(ग) यमलन (Twinning)-- क्रिस्टल के अंदर होने वाला विरूपण प्रक्रम, जिसमें परमाणुओं के समांतर-तल क्रमशः अंतरापरमाणिक अंतरालन की सूक्ष्म मात्रा द्वारा एक-दूसरे के ऊपर लगातार फिसलते रहते हैं। यमलित आयतन प्रायः क्रिस्टल विशेष के आयतन का 1--20 प्रतिशत तक होता है। यमलन नाम देने का कारण यह है कि परमाणु, यमल-तल के दोनों ओर दर्पण-प्रतिबिंब स्थिति में रहते हैं सर्पण की भांति यमलन भी पूर्ण जालक में विरूपण के लिए आवश्यक प्रतिबलों से काफी कम प्रतिबलों पर संपन्न होते हैं अतः उसकी व्याख्या प्रभ्रंश क्रियाविधि द्वारा की जाती है।
"बिंदु-दोष (Point defect)-- धातु जालक में पाए जाने वाले ये दोष दो प्रकार के होते हैं:
(क) अंतराली (Interstitial)-- जनक-जालक (Parent lattice)-- के परमाणुओं के अंतराल में स्थित परमाणु अंतराली कहलाता है।
(ख) रिक्तिका (Vacancy)-- सामान्य जालक-स्थल के क्रिस्टलीय जालक में किसी परमाणु की अनुपस्थिति से उत्पन्न खाली स्थान।"
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Laue diagram
लाउए आरेख
किसी पदार्थ के जालक की विवर्तन-अवस्थाओं के अनुसार बने विभिन्न बिंदुओं को निरूपित करने वाला एक ऐक्स-किरण पैटर्न। बिंदुओं के बीच बने कोणों और उनकी दूरियों को मापकर कण-अभिविन्यास, जालक-विरूपण और अवक्षेपण-प्रभाव जैसे गुणधर्मी का आकलन किया जा सकता है। इसे लाइए पैटर्न भी कहते है।