पिंड संच
ढलवाँ लोहे के बने, लंबे संदूक के आकार के पात्र जिनका भार उनमें ढाले जाने वाले पिंडों के भार का एक से डेढ़ गुना तक होता है। ये संचक ऊपर से नीचे को पतले होते जाते हैं जिससे पिंड के विपट्टन में आसानी रहती है। शिलिका-संच दो प्रकार के होते हैं-- (1) जिनमें बड़ा सिरा ऊपर की ओर होता है (2) जिनमें बड़ा सिरा नीचे की ओर होता है ।
संचकों की भीतरी दीवारें समतल, कैंबरित या लहरदार (Corrugated) होती हैं ओर कोने गोल होते हैं।
Ignot steel
पिंडित इस्पात
आवश्यक मात्रा में परिष्कृत करने के बाद जब इस्पात को अवगाह से पिंड संचक में डालकर जमने दिया जाता है तो प्राप्त उत्पाद को पिंडित-इस्पात कहते हैं इसमें पिंडन संकुचन कोटर (Solidification shrinkage cavity) विद्यमान रहते हैं।
Ignot stripping
पिंड विपट्टन
पिंड-साँचों से पिंडों को निकालने की विधि।
Inoculant
निवेश्य
वे धातुएँ, अकार्बनिक यौगिक अथवा अंतराधातुक यौगिक जिन्हें मिलाने से गलित धातु समान आमाप के असंख्य सम-अक्षीय (बहुफलकीय) क्रिस्टलों में अधिक शीघ्रतापूर्वक पिंडिंत होने लगती है और फलतः एकसमान गुणधर्म उत्पन्न होते हैं। उदाहरणार्थ इस्पात में ऐलुमिनियम ढलवाँ लोहे में फेरोसिलिकन और ऐलुमिनियम में टाइटेनियम निवेश्य का काम करते हैं।
Inoculated cast iron
निवेशित ढलवाँ लोहा
वह ढलवाँ लोहा जिसकी सूक्ष्म संरचना में संशोधन लाने और फलस्वरूप गलित अवस्था में ही यांत्रिक तथा भौतिक गुणधर्मों में सुधार करने के उद्देश्य से कोई पदार्थ मिलाया जाता है जिसे निवेश्य कहते हैं। इस कार्य के लिए अक्सर फेरोसिलिकन, कैल्सियम, सिलिकन, फेरोमैंगनीज-सिलिकन, जर्कोनियम-सिलिकन या अन्य ग्रेफाइटी अभिकर्मकों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें लैडल में ही डाल दिया जाता है।
देखिए-- Nodular cast iron भी
Inoculation
निवेशन
गलित धातु में निवेश्यों को मिलाने का प्रक्रम
देखिए-- Inoculant भी
अंतराक्रिस्टलीय विभंग
देखिए-- Fracture के अंतर्गत Intergranular fracture
Intergranular corrosion
अंतरारेणुक संक्षारण
एक प्रकार का संक्षारण जिसमें संक्षारक माध्यम प्रायः रेणुपरिसीमा पर क्रिया करता है। इस प्रकार के संक्षारण में धात्विक में धात्विक संहति के साथ पर्याप्त मात्रा में क्रिया होने से पहले ही उसका विघटन हो जाता है। प्राप्त प्रमाण से ज्ञात होता है कि रेणु-परिसीमा पर विशिष्ट क्रिया, अपद्रव्य के कारण होती है जो यूटेक्टिक के रूप में जमा हो सकता है। रेणु-परिसीमा के साथ संक्षारण क्रिया का वेधन, धातु और संक्षारण माध्यम के स्वभाव पर निर्भर करता है अविलेय संक्षारण-उत्पाद का बनना, जो कणों के बीच निक्षेपित हो जाता है, इस क्रिया को कम कर देता है जब कि संकुल आयन का बनना, जो सरल धात्विक धनायनों के उत्पादन को रोक देता है, इस क्रिया की गति बढ़ा देता है।
अपद्रव्यों या अन्य प्रावस्थाओं की उपस्थिति से संक्षारक पर्यावरण में रेणु-परिसीमा और संगत मैट्रिक्स के मध्य इलेक्ट्रोड विभवांतर उत्पन्न हो जाता है जिससे वरीय अंतरारेणुक क्रिया होती है।
देखिए-- Intercrystalline corrosion भी
देखिए-- Weld defect भी