ड्रॉस
गलित धातुओं की सतह पर बनने वाला पृष्ठ मल। वह मुख्यतः ऑक्सीकरण के फलस्वरूप और कभी-कभी अशुद्धियों को सतह पर आने के कारण बनता है।
Drossing
ड्रॉसन
ड्रॉसन मूलतः एक शीतलन क्रिया है जिसे किसी केतली अथवा छोटी परावर्तनी भट्टी में संपन्न किया जाता है। अनेक अपद्रव्य, प्रगलन भट्टी अथवा संघनित्र से प्राप्त अतितप्त धातु में विलेय होते हैं किंतु ठंडा करने पर उनकी विलेयता घट जाती है। अतः जैसे-जैसे धातु ठंडी होती जाती है वैसे-वैसे अपद्रव्य गलित धातु की सतह पर एकत्रित होकर ड्रॉस बनाती है जिसे निकाल लिया जाता है। ड्रॉसन की गति बढ़ाने के लिए कभी-कभी धातु में हवा अथवा भाप को धौंका जाता है। अपद्रव्यों की अविलेयता को बढ़ाने के लिए दूसरे तत्वों को भी मिलाया जाता है। उदाहणार्थ, ताम्र युक्त गलित सीसे में गंधक मिलाने से तांबा, Cu₂S के रूप में पृथक हो जाता है। ड्रॉसन का उपयोग प्रायः सीसा, वंग, यशद आदि कम गलनांक वाली धातुओं के परिष्करण के लिए होता है।
Dry copper
शुष्क ताम्र
पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त तांबा जिसके कारण वह भंगुरता प्रदर्शित करता है।
Dry cyaniding
शुष्क सायनाइडन
देखिए-- Case hardening के अंतर्गत Carbonitriding
Dry galvanizing
शुष्क यशदलेपन
यशद का लेप चढ़ाने का एक एक प्रक्रम जिसमें गालक-विलयन को उस वस्तु के ऊपर फैलाया जाता है जिस पर यशद का लेप करना हो। यशद-कुंड में प्रविष्ट करने से पहले उस वस्तु को सुखा लिया जाता है।
Dry pudding
शुष्क पडलन
इस्पात बनाने का एक प्राचीन आलोडन प्रक्रम जिसमें उच्च कोटि के अल्प सिलिकन युक्त कच्चे लोहे का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रम बालू-तल पर की जाती है और हवा द्वारा बिकार्बुरण किया जाता है। धातु लेप-अवस्था तक ही रहता है और पिघल नहीं पाता।
Dry quenching
शुष्क शमन
द्रव के प्रत्यक्ष संपर्क में लाए बिना गरम पदार्थ को टंडा करने का प्रक्रम। मुख्यतया इसका उपयोग कोक-अवन से प्राप्त कोक का शमन करने के लिए होता है। इस क्रिया को पूरा करने के लिए लाल तप्त कोक में अक्रिय गैसों को प्रवाहित किया जाता है। अक्रिय गैसों को प्राप्त करने के लिए कोक की अल्प मात्रा का हवा में दहन किया जाता है जिससे कार्बन डाइ-ऑक्साइड और नाइट्रोजन का अक्रिय मिश्रण प्राप्त होता है। इस अक्रिय मिश्रण को पंखों द्वारा गरम कोक में प्रवाहित करते हैं और फिर नलियों द्वारा भाप-वाष्पित्र में भेज देते हैं। इस प्रकार गैस-मिश्रण से प्राप्त ऊष्मा भाप बनाने में काम आती है और ठंडी गैसों को पुनः प्रवाहित कर लाल तप्त कोक का शुष्क-शमन किया जाता है।